एआई को नियंत्रित करने के लिए ‘‘बेहद आवश्यक’’ होने पर ही लाए जाएंगे नए कानून:सचिव एस. कृष्णन

कृष्णन ने कहा, ‘‘ अब तक एआई के नियमन के प्रति हमारा दृष्टिकोण बेहद व्यावहारिक रहा है और यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हम किसी भी परिस्थिति में नवाचार के रास्ते में बाधा नहीं बनना चाहते।’’ उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिनियम और हाल ही में अधिसूचित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के प्रावधानों में एआई के उपयोग से संबंधित काफी सारे मुद्दे पहले से ही शामिल किए गए हैं।

The selected 37 industries in the new series are categorized as 30 industries from the manufacturing sector, four from the mining sector and three industries from the plantation sector. 

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी सचिव एस. कृष्णन ने मंगलवार को कहा कि सरकार कृत्रिम मेधा (एआई) के लिए नए कानून या नियम लाने से बचना चाहती है, जब तक कि यह ‘‘बेहद आवश्यक’’ न हो।

उन्होंने कहा कि उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम जैसे मौजूदा कानूनी ढांचे का इस्तेमाल किया जाएगा।

उद्योग संघ एसोचैम की ‘एआई लीडरशिप मीट’ में कृष्णन ने कहा कि सरकार का नियामक दृष्टिकोण विचारशील एवं सावधानीपूर्वक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवाचार में बाधा न डाले।

उन्होंने कहा, ‘‘ वैसे भी, हमारे देश में कई कानून हैं… इसलिए मेरी हमेशा यही प्रवृत्ति रहती है कि जब तक बिलकुल जरूरी न हो, कोई नया कानून या नियम न बनाया जाए। पहले यह देखने की कोशिश करें कि मौजूदा कानूनों के साथ क्या किया जा सकता है।’’

कृष्णन ने कहा, ‘‘ अब तक एआई के नियमन के प्रति हमारा दृष्टिकोण बेहद व्यावहारिक रहा है और यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हम किसी भी परिस्थिति में नवाचार के रास्ते में बाधा नहीं बनना चाहते।’’

उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिनियम और हाल ही में अधिसूचित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के प्रावधानों में एआई के उपयोग से संबंधित काफी सारे मुद्दे पहले से ही शामिल किए गए हैं।

सचिव ने कहा, ‘‘समय आने पर विनियमन की आवश्यकता होगी या नहीं, इस पर हम अन्य पहलुओं के साथ विचार करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा जोर उन नियमों को लागू करने पर होगा जो कृत्रिम मेधा के विकास को संभव बनाएंगे।’’

सचिव ने हालांकि आगाह किया कि यदि इस प्रौद्योगिकी से कोई नुकसान होता है तो सरकार चुप नहीं बैठेगी।

कृत्रिम मेधा (एआई) के कारण होने वाले नौकरियों के विस्थापन से संबंधित चिंताओं को लेकर कृष्णन ने स्वीकार किया कि कुछ नौकरियां भले ही समाप्त हो जाएं, लेकिन अन्य नौकरियां सृजित होंगी।

उन्होंने तर्क दिया कि सैद्धांतिक एआई से वास्तविक अनुप्रयोगों और कार्यान्वयन की ओर बदलाव में भारत को एक विशिष्ट लाभ मिलता है।

कृष्णन ने कहा, ‘‘ हमारा मानव संसाधन भी अन्य कई देशों की तुलना में एआई बदलाव को संभालने के लिए बेहतर स्थिति में है और उनका वितरण भी बेहतर है।’’

‘एआई लीडरशिप मीट’, एआई इम्पैक्ट समिट 2026 के लिए एक आधिकारिक पूर्व-समिति कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘इंडिया एआई-इम्पैक्ट समिट’ 2026 का आयोजन 19-20 फरवरी 2026 को नयी दिल्ली में किया जाएगा।

Published: December 16, 2025, 15:03 IST
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