
देश के समुद्र तटों पर सेवा देने वाले भारतीय नाविकों को राहत देते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो दशक पुरानी उस आव्रजन व्यवस्था को बृहस्पतिवार को खत्म कर दिया, जिन्हें देरी की एक बड़ी वजह माना जाता था।
भारतीय ध्वज वाले ऐसे जहाजों, जो सिर्फ़ भारतीय पत्तन की सीमा के अंदर संचालित होते हैं, उनके चालक दल के लिए खत्म किये गए दो मुख्य नियमों में ‘कोस्टल साइन-ऑन’ और ‘साइन-ऑफ सिस्टम’ तथा ‘शोर लीव पास’ प्रणाली शामिल हैं।
इन जहाजों में ड्रेजर (तल से गाद निकालने वाली) और अनुसंधान पोत आदि शामिल हैं। पहले, नाविकों को अंतरराष्ट्रीय आव्रजन मंजूरी जैसी मुश्किल दस्तावेजी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता था, भले ही वे भारतीय पत्तनों के बीच आते-जाते हों। इसके अलावा, एक नाविक को जहाज से उतरने और किनारे पर जाने (शोर लीव) के लिए एक नियमित आव्रजन पास की ज़रूरत होती थी।
इन दोनों प्रक्रियाओं को खत्म करने के इस फैसले के साथ, सरकार ने नाविकों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा कर दिया है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि नरेंन्द्र मोदी सरकार भारत के नाविकों के साथ मज़बूती से खड़ी है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारे नाविकों को मज़बूत बनाने के लिए, (गृह मंत्री) अमित शाह जी के मज़बूत नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विशेष रूप से भारतीय जल क्षेत्र में संचालित होने वाले सभी भारतीय जहाजों के लिए ‘साइन-ऑन, साइन-ऑफ़ और शोर लीव पास’ की दशकों पुरानी ज़रूरतों को खत्म कर दिया है।’’
पूर्व की व्यवस्था में, चालक दल के प्रत्येक सदस्य को हर 10 दिन में अपना ‘शोर लीव पास’ लेने और नवीकरण कराने के लिए खुद आव्रजन कार्यालय जाना पड़ता था। इस प्रक्रिया को बहुत बोझिल माना जाता था, जिससे नाविकों के लिए जहाज पर अपने ज़रूरी काम पर ध्यान देना बहुत मुश्किल हो जाता था।