
उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद नौकरी गंवाने वाले लगभग 26,000 स्कूलकर्मियों में से 500 से अधिक ने मंगलवार को भी पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के मुख्यालय के निकट अपना धरना जारी रखा. प्रदर्शनकारी ‘‘बेदाग’’ शिक्षकों की सूची से अपना नाम हटाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच, आयोग ने सोमवार को राज्य भर के स्कूलों के जिला निरीक्षकों को ‘‘पात्र’’ शिक्षकों की संशोधित सूची भेजी, जिसमें ‘‘मानवीय भूल’’ के कारण छूटे हुए 300 और नाम शामिल थे.
पहली सूची 23 अप्रैल को जारी की गई, जिसमें लगभग 15,400 नाम होने के कारण कई प्रदर्शनकारी शिक्षक काम पर लौटने के लिए प्रेरित हुए. हालांकि, कम से कम 500 अन्य कर्मियों ने लगातार छठे दिन अपना धरना जारी रखा. पात्र शिक्षक, जिनके नाम जिला निरीक्षक कार्यालय को भेजे गए थे, को ‘‘विशेष रूप से दागी नहीं’’ बताया गया. वहीं जिन बेदाग शिक्षकों के नाम स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा जिला निरीक्षक (डीआई) कार्यालय को भेजे गए थे, वे 31 दिसंबर तक अपनी सेवाएं जारी रख सकेंगे, जैसा कि 17 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था.
‘यूनाइटेड टीचिंग एंड नॉन टीचिंग फोरम’ के सदस्य अनुज कर ने इसे ‘‘भेदभावपूर्ण’’ बताया तथा कहा कि यह एक अन्य संगठन, ‘डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम’ से जुड़े लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘हम 2016 की परीक्षा में शामिल हर उम्मीदवार की ओएमआर शीट को एसएससी की वेबसाइट पर तुरंत उपलब्ध करने की मांग करते हैं, जिससे यह साबित हो जाएगा कि हम दागी नहीं हैं. अन्यथा, हम एसएससी द्वारा तैयार की गई सूची में अपने नाम शामिल करने और इसे डीआई कार्यालयों को भेजने की मांग करते हैं.’’
एक अन्य घटनाक्रम में, 25,753 में से चार गैर-शिक्षण स्कूल कर्मचारी, जिनकी नौकरी रद्द कर दी गई थी, पिछले पांच दिनों से आयोग के परिसर में भूख हड़ताल पर हैं. गैर-शिक्षण प्रदर्शनकारियों में से एक सत्यजीत धर ने कहा, ‘‘हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, जब तक कि ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों को भी दागी/बेदाग सूची में नहीं लाया जाता.’’
उच्चतम न्यायालय ने 3 अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के 2024 के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें 2016 के एसएससी भर्ती अभियान के माध्यम से नियुक्त 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द कर दिया गया था तथा पूरी चयन प्रक्रिया को ‘‘दागदार’’ करार दिया था. बेरोजगार हुए लोगों ने दावा किया कि उनकी इस दशा का कारण एसएससी की यह अक्षमता थी कि वह फर्जी तरीकों से नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों और उपयुक्त तरीकों से नौकरी पाने वालों के बीच अंतर नहीं कर सका.
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