
अदाणी समूह ने शुक्रवार को कहा कि उसने 2030 तक अपने बही-खाते पर कुल ऋण एक लाख करोड़ रुपये तक रखने का लक्ष्य तय किया है. समूह ने जोखिम के लिहाज से इस बात पर जोर दिया कि वह ऐसी स्थिति में रहना चाहता है, जिससे उसकी वृद्धि योजना किसी भी पूंजी पहुंच पर निर्भर न रहे.
अदाणी समूह के मुख्य वित्त अधिकारी जुगेशिन्दर (रॉबी) सिंह ने ट्रस्ट समूह के भारत ऋण पूंजी बाजार शिखर सम्मेलन 2025 के पांचवें संस्करण में कहा कि समूह की राय है कि भारतीय बुनियादी ढांचे का स्वामित्व मुख्य रूप से भारत के पास ही होना चाहिए.
समूह के ऋण के बारे में पूछने पर सिंह ने कहा, ”लगभग एक लाख करोड़ रुपये हमारा लक्ष्य है.”
उन्होंने कहा कि ऐसा 2030 तक हो जाना चाहिए. कुछ चीजें हैं, जिन्हें कंपनी को सुलझाना है, जिन पर वह अपने बैंकिंग साझेदारों के साथ काम करेगी.
सिंह ने कहा, ”मुझे लगता है कि जोखिम के लिहाज से हम ऐसी स्थिति में रहना चाहते हैं कि हमारी वृद्धि योजना हमें किसी भी पूंजी तक पहुंचने पर निर्भर न करे. इसका मतलब यह नहीं कि हम पूंजी नहीं लेंगे. इसका सिर्फ यह मतलब है कि जब हम अपनी योजना बनाते हैं, तो अपनी योजना के पैमाने के कारण, लगभग अनुमानित रूप से हम अगले छह वर्षों में हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपये की नई संपत्तियों में निवेश करेंगे.”
संकटग्रस्त सहारा समूह की संपत्तियों के बारे में उन्होंने कहा, ”हम किसी भी मुकदमे में बहुत कम शामिल हैं, हम नहीं होंगे, लेकिन हम इसमें बहुत रुचि रखते हैं. कुछ संपत्तियां विशेष रूप से तैयार की गई हैं और रियल एस्टेट की प्रकृति की हैं. ये हमारे लिए ठीक होंगी.”
सहारा समूह की संपत्तियां अदाणी समूह को बेचने का प्रस्ताव है. हालांकि सिंह ने कहा कि अदाणी समूह को कुछ रास्ते ढूंढने होंगे, क्योंकि ये संपत्तियां मुकदमेबाजी में शामिल हैं.
सूत्रों के अनुसार, अदाणी समूह पर कुल 2.6 लाख करोड़ रुपये का ऋण है. समूह की कंपनियों का सालाना परिचालन लाभ 90,000 करोड़ रुपये और 60,000 करोड़ रुपये की नकदी है.
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