
सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लि. (सीआईएल) ने सोमवार को कहा कि उसने झारखंड में 16,500 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ अत्याधुनिक बिजलीघर स्थापित करने के लिए दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के साथ समझौता किया है.
ये अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट यानी अत्याधुनिक बिजलीघर ‘सुपरक्रिटिकल’ संयंत्र की तुलना में अधिक दक्ष होते हैं और इनमें उत्सर्जन भी कम होता है.
कोल इंडिया ने बयान में कहा, ‘‘तापीय बिजली उत्पादन के क्षेत्र में अपने कारोबार के विविधीकरण को आगे बढ़ाते हुए, कोल इंडिया लि. ने झारखंड में कोयले से चलने वाले 800-800 मेगावाट की दो इकाई वाला अत्याधुनिक बिजलीघर लगाने के लिए औपचारिक रूप से डीवीसी के साथ गठजोड़ किया है.’’
यह परियोजना मौजूदा चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन का विस्तार होगी. इसकी वर्तमान क्षमता 500 मेगावाट (250-250 मेगावाट की दो इकाइयां) है.
इस परियोजना में कुल निवेश 16,500 करोड़ रुपये होगा. संयुक्त उद्यम में दोनों कंपनियों की 50-50 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी होगी. प्रस्तावित बिजलीघर के लिए कोयला कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों भारत कोकिंग कोल लि. और सेंट्रल कोलफील्ड्स लि. के समीप के कोयला क्षेत्रों से प्राप्त किया जाएगा.
दोनों कंपनियों ने सोमवार को कोलकाता में एक गैर-बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये.
समझौता ज्ञापन में डीवीसी क्षेत्र में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए भंडारण या इसके बिना तापीय बिजली परियोजनाओं और हरित ऊर्जा परियोजनाओं को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए विभिन्न अवसरों की खोज करने के प्रावधान भी शामिल है.
कोल इंडिया के चेयरमैन पी एम प्रसाद और डीवीसी के चेयरमैन एस सुरेश कुमार की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर कोल इंडिया के निदेशक (कारोबार विकास) देबाशीष नंदा और डीवीसी के सदस्य (तकनीकी) स्वप्नेंदु कुमार पांडा ने हस्ताक्षर किये.
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