
इस साल अप्रैल-जून, 2025 के दौरान ऋण प्रतिभूतिकरण की मात्रा बढ़कर 49,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. सोमवार को एक रिपोर्ट में बताया गया कि एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 45,000 करोड़ रुपये था. क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि प्रतिभूतिकरण शुरू करने वाली इकाइयों की संख्या लगभग 90 थी. प्रतिभूतिकरण आरंभ करने वालों से आशय ऐसा बैंकों या वित्तीय संस्थानों से है, जो एक या कई ऋण छूट के साथ एक नई इकाई को प्रतिभूति या बॉन्ड के रूप में बेचते हैं.
घरेलू रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बड़ी कंपनियों की अगुवाई में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा जारी किए गए निर्गमों में 24 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में एनबीएफसी कंपनियों ने बाजार में 92 प्रतिशत का योगदान दिया, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा 74 प्रतिशत था.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शीर्ष-20 एनबीएफसी मूल कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 56 प्रतिशत थी. बैंकों के मामले में कुल ऋण-जमा अनुपात में लगातार सुधार के बावजूद गतिविधियां कम रही. बैंकों में कुछ बड़े निजी क्षेत्र के बैंक ऋण इस मामले में अगुवा हैं.
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