
वर्ष 2025 में अमेरिका ने भारत के निर्यात पर लगभग 50 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया, लेकिन भारतीय निर्यातकों ने अपने बाजारों को विविध करके निर्यात वृद्धि को मजबूती से बनाए रखा और यह तेजी 2026 में भी जारी रहने की संभावना है।
व्यापार मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के शब्दों में, “व्यापार पानी की तरह है, यह अपना मार्ग खुद ढूंढ लेता है।”
इसी सिद्धांत के साथ भारतीय वस्तु निर्यात ने कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध, लाल समुद्र शिपिंग संकट, सेमीकंडक्टर आपूर्ति समस्या और अब अमेरिका के उच्च शुल्क जैसी चुनौतियों के बीच भी तेजी से प्रतिक्रिया दी है।
भारत का निर्यात 2020 में लगभग 276.5 अरब डॉलर था, जो 2021 में बढ़कर 395.5 अरब डॉलर और 2022 में 453.3 अरब डॉलर हो गया था। 2023 में यह गिरकर 389.5 अरब डॉलर रहा, लेकिन फिर 2024 में यह 443 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वर्ष 2025 (जनवरी-नवंबर) तक इसका आंकड़ा लगभग 407 अरब डॉलर हो चुका है।
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का माल और सेवा निर्यात ऐतिहासिक उच्च स्तर 825.25 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें सालाना आधार पर छह प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई। चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-नवंबर 2025) में भी निर्यात 562 अरब डॉलर रहा, जो वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के लचीलेपन को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान रुझानों के आधार पर 2026 में भी भारत की निर्यात वृद्धि मजबूत रहने की संभावना है। खास तौर पर तीन मुक्त व्यापार समझौते (ब्रिटेन, ओमान और न्यूजीलैंड) अगले साल लागू होने वाले हैं, जो भारतीय वस्तुओं और सेवाओं को बेहतर बाजार पहुंच देंगे।
अमेरिका ने 2025 में भारतीय वस्तुओं पर उच्च शुल्क लागू किए। इसके कारण सितंबर और अक्टूबर में अमेरिका के लिए निर्यात प्रभावित हुआ, लेकिन नवंबर 2025 में अमेरिका के लिए निर्यात 22.61 प्रतिशत बढ़कर 6.98 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो निर्यातकों के अनुकूल संकेत है।
हालांकि, निर्यातक अभी भी वैश्विक अनिश्चितताओं को लेकर सतर्क हैं। वे अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते के जल्द पूरा होने की आशा कर रहे हैं ताकि निर्यात को और मजबूती मिले।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने चेताया है कि 2025 में वैश्विक व्यापार केवल 2.4 प्रतिशत बढ़ सकता है, जबकि 2026 के लिए यह अनुमान घट कर 0.5 प्रतिशत हो गया है, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार तथा विनिर्माण गतिविधियों में कमी का संकेत देता है।
सरकार ने निर्यातकों को सहायता देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात प्रचार मिशन, योग्य निर्यातकों को 20,000 करोड़ रुपये तक बिना गिरवी क्रेडिट सुविधा, कर्ज भुगतान में लंबी अवधि, और नये व्यापार समझौतों (एफटीए) का उपयोग शामिल है, ताकि निर्यातियों को वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद मिले।
निर्यात विशेषज्ञों के अनुसार, 2026 में भी भारत का निर्यात बढ़ेगा क्योंकि घरेलू वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता, उत्पादों तथा बाजारों का विविधीकरण निर्यात को आगे बढ़ाएगा।
विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात लगभग 39 फीसदी बढ़ा है, जो विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के कारण क्षमता निर्माण और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में गहरी हिस्सेदारी को दर्शाता है। इसके अलावा इंजीनियरिंग वस्तु, दवा और वाहन निर्यात भी निरंतर गति बनाए हुए हैं।
Download Money9 App for the latest updates on Personal Finance.
