

शनिवार यानी 1 फरवरी को संसद में आम बजट 2025 पेश किया जाएगा. लेकिन इससे पहले शुक्रवार को जारी इकोनॉमिक सर्वे 2025 किसानों के बीच चर्चा का विषय बन गया है. इस सर्वे में अनाज के ओवर प्रोडक्शन कम करने और दलहन-तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नीतिगत बदलाव की वकालत की गई है. यानी अब किसानों को धान, गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों के बजाय दालों और खाद्य तेलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. ताकि देश दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके. ऐसे मौजूदा वक्त में देश को खाद्य तेल और दालों की डिमांड को पूरा करने के लिए विदेशों से आयाता करना पड़ता है.
पीटीआई के मुताबिक, संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि कृषि सेक्टर में विकास की आपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए सरकार और प्राइवेट सेक्टर को मिलकर काम करना होगा. सर्वे के मुताबिक, किसानों को मार्केट में उनकी फसल का उचित रेट मिलना चाहिए. लेकिन साथ ही सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कमजोर और गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाए.
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इन बदलाओं की जरूरत
खास बात यह है कि कृषि सेक्टर के विकास के लिए इकोनॉमिक सर्वे में तीन प्रमुख नीतिगत बदलावों की जरूरतों पर जोर दिया गया है. इनमें से पहला बदलाव प्राइस रिस्क हेजिंग के लिए मार्केट मैकेनिज्म स्टेबिलिस करना है. दूसरे बदलाव के रूप में खाद के ज्यादा इस्तेमाल को कम करने की बात कही गई है. साथ ही अधिक बिजली और पानी खपत वाली फसलों की खेती में भी कमी लाने की बात कही गई है.
कृषि सेक्टर की GDP में हिस्सेदारी
वित्त वर्ष 17 से वित्त वर्ष 23 के दौरान कृषि सेक्टर की औसतन ग्रोथ 5 फीसदी सलाना रही, जो चुनौतियों के बावजूद लचीलापन दर्शाता है. वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में, इस क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत की ग्रोथ हुई, जो पिछली चार तिमाहियों में 0.4 से 2.0 प्रतिशत की वृद्धि दर से ज्यादा है. वर्तमान मूल्यों पर वित्त वर्ष 24 के प्रोविजनल अनुमानों के अनुसार, यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 46.1 प्रतिशत आबादी का भरण-पोषण करता है.
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पशुपालन और डेयरी सेक्टर
सर्वे में इकोनॉमिक डायवर्सिफिकेशन के लिए पशुपालन, डेयरी और मछली पालन को बढ़ावा देने की बात कही गई है. हालांकि ,इस सर्वे में जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी जैसी चुनौतियों पर भी फोकस किया गया है. साथ ही कहा गया है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी को अपनाने और ई-एनएएम जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा.
Published: January 31, 2025, 21:35 IST