
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के 17 सितंबर को नीति फैसले से पहले सोने की कीमतों में तेजी कुछ थम सकती है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि आगे चलकर इस कीमती धातु की चमक बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा कि कारोबारी शुल्क प्रभाव का आकलन करने के लिए व्यापार मुद्रास्फीति के आंकड़ों, ब्रिटेन और यूरो क्षेत्र सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुद्रास्फीति के आंकड़ों, और बैंक ऑफ इंग्लैंड तथा बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीति बैठकों पर नजर रखेंगे.
जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के – जिंस एवं मुद्रा शोध के उपाध्यक्ष प्रणव मेर ने कहा, ”सोने की कीमतों में सकारात्मक गति जारी रही और यह लगातार चौथे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुआ. हालांकि सप्ताह के मध्य में बढ़त की गति कुछ धीमी हो गई. पिछले चार हफ्तों में कीमतों में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी के बाद निवेशक और कारोबारी अब सतर्क हो गए हैं और मौजूदा कीमतों पर नए तेजी के सौदे जोड़ने से हिचक रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया और रूस-यूक्रेन में भू-राजनीतिक तनाव के कारण सोने की कीमतों को समर्थन मिल रहा है. मेर ने कहा कि सोना-चांदी की कीमतों के सकारात्मक बने रहने की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों पर है. ऐसे में कीमतों में कुछ समेकन देखने को मिल सकता है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दो दिवसीय बैठक 16 सितंबर को शुरू होगी और 17 सितंबर को नीति निर्णय की घोषणा की जाएगी. एंजल वन के प्रथमेश माल्या ने कहा कि अमेरिका में भारतीय आयात पर लगाए गए 50 प्रतिशत के शुल्क और हाल के हफ्तों में रूस-यूक्रेन संघर्ष बढ़ने के चलते यह तेजी आश्चर्यजनक नहीं है.
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