
जीएसटी दरों में कटौती के बावजूद त्योहारी खरीदारी के कारण अक्टूबर में सकल जीएसटी संग्रह 4.6 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया. हालांकि यह चालू वित्त वर्ष में अब तक की सबसे धीमी दर है.
रसोई के सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सहित 375 वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नयी दरें 22 सितंबर से प्रभावी हुईं थीं. यह नवरात्रि का पहला दिन था और यह समय नए सामान खरीदने के लिए शुभ माना जाता है.
अक्टूबर के जीएसटी संग्रह के आंकड़े त्योहारी सत्र की बिक्री और दबी हुई मांग के प्रभाव को दर्शाते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में दिवाली से पहले जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा की थी. इसके बाद उपभोक्ताओं ने जीएसटी दरों में कटौती का इंतजार करते हुए अपनी खरीदारी का फैसला टाल दिया था.
शनिवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में सकल जीएसटी संग्रह लगभग 1.96 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अक्टूबर 2024 के 1.87 लाख करोड़ रुपये के संग्रह से 4.6 प्रतिशत अधिक है.
इस साल अगस्त और सितंबर में कर संग्रह क्रमशः 1.86 लाख करोड़ रुपये और 1.89 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा कम रहा.
हालांकि अक्टूबर में जीएसटी संग्रह में सालाना आधार पर 4.6 प्रतिशत की वृद्धि पिछले महीनों में देखी गई लगभग नौ प्रतिशत की औसत वृद्धि से कम है.
सकल घरेलू राजस्व, जो स्थानीय बिक्री का एक संकेतक है, अक्टूबर में दो प्रतिशत बढ़कर 1.45 लाख करोड़ रुपये हो गया. दूसरी ओर आयात कर लगभग 13 प्रतिशत बढ़कर 50,884 करोड़ रुपये रहा.
जीएसटी रिफंड भी सालाना आधार पर 39.6 प्रतिशत बढ़कर 26,934 करोड़ रुपये हो गया. रिफंड समायोजित करने के बाद अक्टूबर 2025 में शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.69 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.2 प्रतिशत अधिक है.
प्राइस वाटरहाउस एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि 22 सितंबर से प्रभावी दरों में भारी कटौती के बावजूद घरेलू जीएसटी संग्रह में मामूली वृद्धि दर्शाती है कि मांग लगातार बढ़ रही है.
उन्होंने कहा, ”जीएसटी रिफंड (घरेलू और निर्यात दोनों) में लगातार वृद्धि से कर प्रशासन के इस भरोसे का पता चलता है कि भविष्य में भी जीएसटी संग्रह सकारात्मक रहेगा.”
ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी संग्रह बढ़ने की धीमी गति मुख्य रूप से दरों को युक्तिसंगत बनाने और त्योहारी सत्र से पहले उपभोक्ता खर्च में देरी के कारण थी.
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर और अप्रत्यक्ष कर प्रमुख महेश जयसिंह ने कहा कि जीएसटी संग्रह के आंकड़े त्योहारी उत्साह और बेहतर अनुपालन के बीच अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाते हैं.
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