
भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने के लिए 2025 के अंत तक की समयसीमा तय की है. इसके साथ ही दोनों पक्षों की टीमों ने संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते की दिशा में प्रयासों में तेजी लाने के लिए शनिवार को चर्चा की.मुंबई में यह बैठक वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ईयू के व्यापार और आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफकोविक के बीच दोनों पक्षों के अधिकारियों के साथ हुई.
गोयल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “हमारी चर्चा संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी एफटीए की दिशा में प्रयासों को गति देने पर केंद्रित थी. आर्थिक संबंधों को गहरा करने और समृद्ध भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी को बढ़ावा देने की आशा है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने 28 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शुल्क नीति पर बढ़ती चिंताओं के बीच इस वर्ष तक बहुप्रतीक्षित एफटीए पर सहमति व्यक्त की.
दोनों पक्षों के बीच 10-14 मार्च तक ब्रुसेल्स में एफटीए के लिए दसवें दौर की वार्ता होनी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अधिक शुल्क लगाने की धमकी के मद्देनजर दोनों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करना महत्वपूर्ण है. मौजूदा अनिश्चित वैश्विक आर्थिक स्थिति में, भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है. वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है.
जून, 2022 में भारत और 27 देशों के यूरोपीय संघ के समूह ने आठ साल से ज़्यादा के अंतराल के बाद बातचीत बहाल की. बाजारों को खोलने के स्तर पर मतभेदों के कारण 2013 में यह बातचीत रुक गई थी. वाहन क्षेत्र में महत्वपूर्ण शुल्क कटौती की मांग के अलावा, यूरोपीय संघ वाइन, स्पिरिट्स और एक मज़बूत बौद्धिक संपदा व्यवस्था में कर कटौती चाहता है. भारत आईटी क्षेत्र के लिए डेटा सुरक्षा दर्जा भी चाहता है. इस दर्जे की कमी के कारण भारत में संवेदनशील जानकारी का प्रवाह रुक गया है, जो आईटी उद्योग के लिए एक बड़ी बात है.
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