
क्वांटम कंप्यूटिंग के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत को बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. साथ ही उभरती प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाने के लिए द्विपक्षीय भागीदारी भी करनी होगी. नीति आयोग के बुधवार को जारी शोध पत्र में यह कहा गया है.
नीति फ्रंटियर टेक हब (नीति-एफटीएच) ने ‘डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया’ के साथ साझेदारी में शोध पत्र जारी किया है. इसमें क्वांटम कंप्यूटिंग के तेजी से विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव आदि का उल्लेख किया गया है.
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने शोध पत्र जारी किया. इसमें कहा गया है कि क्वांटम कंप्यूटिंग द्वारा उत्पन्न अवसरों और खतरों से निपटने के लिए एक रणनीतिक ढांचा आवश्यक है.
इसमें कहा गया, ‘‘एक सक्रिय, बहुआयामी दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि क्वांटम युग में राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत बनी रहे.’’ शोध पत्र में इसे तेजी से अपनाने के लिए द्विपक्षीय साझेदारी का आह्वान किया गया है.
सुब्रह्मण्यम ने शोध पत्र की प्रस्तावना में कहा कि क्वांटम कंप्यूटिंग क्षेत्र में नेतृत्व के लिए सिर्फ तकनीकी कौशल नहीं बल्कि उससे कहीं अधिक की आवश्यकता होगी. उन्होंने सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच गहन सहयोग के साथ-साथ स्वदेशी क्षमताओं में निवेश की जरूरत बतायी.
सरकार ने स्वदेशी क्वांटम प्रौद्योगिकी परिवेश विकसित करने के लिए 6,003 करोड़ रुपये के बजट के साथ अप्रैल, 2023 में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू किया था.
आयोग ने कहा कि ‘नीति फ्रंटियर टेक हब’ 2047 तक भारत के विकास की दिशा में देश के लक्ष्य को आकार देने के लिए प्रतिबद्ध है.
शोध पत्र में कहा गया है कि क्वांटम कंप्यूटिंग तेजी से विकसित हो रही है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों पेश कर रही है.
यह वैश्विक क्वांटम दौड़, नवीनतम तकनीकी सफलताओं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभाव का पता लगाता है. यह भारत की तैयारियों को बढ़ाने के लिए सिफारिशें भी प्रदान करता है.
शोध पत्र के अनुसार, क्वांटम प्रौद्योगिकी कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है. एन्क्रिप्शन को तोड़ने से लेकर अगली पीढ़ी के हथियार डिजाइन करने तक, क्वांटम क्षमताओं को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने वाले राष्ट्र अभूतपूर्व रणनीतिक बढ़त हासिल करेंगे.
इसमें कहा गया है कि क्वांटम कंप्यूटिंग एक दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी है, जिसकी रक्षा, खुफिया और साइबर सुरक्षा के लिए काफी महत्व है.
भारत ने अपने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के माध्यम से प्रगति की है, अवसरों और खतरों दोनों से निपटने के लिए एक रणनीतिक ढांचा आवश्यक है.
शोध पत्र में कहा गया है कि भारत की क्वांटम सुरक्षा रणनीति में वैश्विक भागीदारी और घरेलू नवोन्मेष का लाभ उठाते हुए प्रौद्योगिकी निगरानी, अनुसंधान और आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा को एकीकृत करना चाहिए.
इसमें कहा गया है कि एक सक्रिय, बहुआयामी दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि क्वांटम युग में राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत बनी रहे.
क्वांटम प्रौद्योगिकियों में निजी निवेश बढ़ रहा है, जो बढ़ते वाणिज्यिक भरोसे को दर्शाता है. अनुसंधान से वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों में बदलाव को तेज करता है. दुनिया भर की सरकारें भी क्वांटम विकास के लिए पर्याप्त प्रतिबद्धताएं दिखा रही हैं.
अमेरिका ने अबतक पांच अरब डॉलर का निवेश किया है, जबकि चीन 15 अरब डॉलर के निवेश के साथ सबसे आगे हैं. यूरोप ने 1.2 अरब डॉलर और भारत 75 करोड़ डॉलर का निवेश किया है.
कुल मिलाकर, 30 से अधिक सरकारों ने क्वांटम प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए 40 अरब डॉलर से अधिक के निवेश का संकल्प जताया है.
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