
उद्योगपति मुकेश अंबानी ने शनिवार को कहा कि भारत को कृत्रिम मेधा (एआई) के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बनना चाहिए, लेकिन नई प्रौद्योगिकी अपनाते समय मानवीय संवेदना और करुणा को भी उतना ही महत्व देना जरूरी है.
अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अंबानी ने कहा कि देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी भारत की ऊर्जा समस्या के समाधान के बेहद करीब पहुंच चुकी है.
उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास भारत के लिए बड़ी उपलब्धि साबित हो सकते हैं.
अंबानी ने कहा कि रिलायंस की दूरसंचार कंपनी जियो ने अपनी सेवाओं के जरिए भारत को वैश्विक डिजिटल मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है.
उन्होंने कहा, “हमें कृत्रिम मेधा की जरूरत है और भारत को इसमें विश्व में अग्रणी बनना चाहिए, लेकिन सबसे ऊपर हमें संवेदना और करुणा की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि बुद्धिमत्ता को मानवीय संवेदना से और समृद्धि को उद्देश्य से जोड़कर भारत दुनिया के सामने विकास का एक नया मॉडल पेश कर सकता है.
अंबानी ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब खुद रिलायंस के भीतर दूरसंचार कारोबार को लेकर संदेह करने वाले लोग थे.
ऊर्जा क्षेत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अपनी 80 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है और ऊर्जा भंडारण एक बड़ी चुनौती रही है, जबकि देश में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं मौजूद हैं.
उन्होंने कहा कि रिलायंस अब इस स्थिति को बदलने के करीब है और सौर ऊर्जा को केवल कुछ घंटों के विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि दीर्घकालिक समाधान के रूप में उपयोग करने की दिशा में काम कर रही है.
अंबानी ने इन प्रयासों की नींव रखने का श्रेय रिलायंस के निदेशक मंडल के सदस्य आर ए माशेलकर को दिया.
उन्होंने कहा कि इस कारोबार के जरिए रिलायंस स्वच्छ और हरित ऊर्जा को प्रचुर मात्रा में और किफायती तरीके से उपलब्ध कराने का रास्ता दिखाएगी, न केवल भारत को बल्कि दुनिया के कई देशों को.
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में रिलायंस ने खुद को नवाचार आधारित कंपनी के रूप में विकसित करने पर जोर दिया है.
उन्होंने अपने शिक्षक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक एम एम शर्मा का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने रिलायंस को केवल कामयाब क्रियान्वयन तक सीमित न रहकर नवाचार पर ध्यान देने की चुनौती दी थी.
अंबानी ने कहा कि पिछले दो दशकों में माशेलकर ने जमीन स्तर पर काम करते हुए रिलायंस को गहन शोध और प्रौद्योगिकी नवाचार वाली कंपनी बनाने में अहम भूमिका निभाई है.
उन्होंने बताया कि कंपनी के कुल कर्मचारियों में से अब एक लाख से अधिक प्रौद्योगिकी पेशेवर हैं.
उन्होंने कहा कि रिलायंस ने नवाचार परिषद और नई ऊर्जा परिषद का गठन किया है, ताकि अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित कंपनी बनने के लक्ष्य को और मजबूत किया जा सके.
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