
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार की नीतियां विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की वृद्धि को समर्थन देने के लिए तैयार की गई हैं। इटली के मिलान में ‘एडीबी गवर्नर्स’ (एशियाई विकास बैंक के सदस्य देशों के गवर्नर) के सेमिनार के दौरान उन्होंने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 60 प्रतिशत योगदान सेवा क्षेत्र का है।
उन्होंने कहा, “हमारा दृष्टिकोण हमारे पास मौजूद परिसंपत्तियों के आधार पर खुद को और मजबूत करना है, चाहे वह मानव पूंजी के रूप में हो या प्रौद्योगिकी के रूप में, जिसमें हम अग्रणी हैं, अगर मैं ऐसा कह सकती हूं, और उन क्षेत्रों में भी जिनमें हमें लगता है कि हम आगे बढ़ सकते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 60 करोड़ लोग 25 साल से कम उम्र के हैं और इसलिए देश जनसांख्यिकीय लाभांश का आनंद ले रहा है। सीतारमण के भाषण के मुख्य अंश उनके कार्यालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किए हैं।
विनिर्माण के संबंध में उन्होंने कहा कि भारत को सकल घरेलू उत्पाद में अपनी हिस्सेदारी को मौजूदा 12-13 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और फार्मा जैसे 14 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों या उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में किसी भी अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता को उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन का लाभ मिलता है।
सीतारमण ने कहा कि भारत अपने पास मौजूद ‘सॉफ्ट स्किल्स’ सहित परिसंपत्तियों का उपयोग करके वैश्विक आपूर्ति शृंखला के साथ कोई भी स्थायी आपूर्ति शृंखला संबंध बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, “हमने अपनी रणनीतिक ताकत को ध्यान में रखते हुए आपूर्ति शृंखला के प्रति दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाया है और यह सुनिश्चित किया है कि भारत की क्षमताओं का लाभ उठाया जाए।” दिन में सीतारमण ने जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (जेबीआईसी) के गवर्नर नोबुमित्सु हयाशी के साथ बैठक की।
वित्त मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर एक अलग पोस्ट में बताया कि वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के लिए महत्वाकांक्षी 5,000 अरब जापानी येन निवेश लक्ष्य का 70 प्रतिशत से अधिक प्राप्त हो चुका है और भारत विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने के लिए तत्पर है क्योंकि दोनों देश 10 साल के सहयोग पर काम करते हैं। वित्त मंत्री ने जेबीआईसी से भारत के विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचे सहित उच्च वृद्धि वाले क्षेत्रों में अधिक जापानी निवेश को सुविधाजनक बनाने का आग्रह किया।
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