हफ्ते में हो 70 घंटे काम!
कितनी देर काम करना चाहिए. पिछले कुछ दिनों से इस एक लाइन पर काफी बात हो रही है. इंटरनेट से लेकर दफ्तर तक, हर जगह लोग अपने हिसाब से राय रख रहे हैं. इस बहस की शुरुआत Infosys के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के एक बयान से हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि लोगों को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए.
मूर्ति के उस बयान की खूब आलोचना हुई. हर सेक्टर के लोगों ने उन्हें काफी घेरा भी. इन्हीं आलोचनाओं के बीच मूर्ति ने अपने दिए गए बयान को लेकर एक पक्ष जाहिर किया.
‘मेरा मकसद किसी पर दबाव डालना नहीं’
सोमवार, 21 जनवरी को IMC मुंबई में एक व्याख्यान के दौरान वर्क लाइफ बैलेंस पर सवाल पूछे जाने पर मूर्ति ने कहा कि किसी को जबरदस्ती लंबे समय तक काम करने के लिए नहीं कह सकते हैं. बल्कि लोगों को खुद से काम की जरूरत समझनी चाहिए. मूर्ति ने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने इन्फोसिस में 40 साल तक हर हफ्ते 70 घंटे से अधिक काम किया है.
उन्होंने वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर उठे विवाद से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनका मकसद किसी पर दबाव डालना नहीं था. उनका कहना है कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिस पर बहस नहीं बल्कि सोचने वाली बात है. उन्होंने कहा, मैं कह सकता हूं कि मैं सुबह 6:30 बजे ऑफिस पहुंचता था और रात 8:30 बजे निकलता था. यह एक तथ्य है. यह मैं पिछले 40 साल से कर रहा हूं.
L&T के चेयरमैन, मूर्ति से ’20 घंटे’ आगे
मूर्ति का मानना है कि इस मुद्दे पर ज्यादा बहस करने की कोई जरूरत नहीं है. हर व्यक्ति को खुद सोचना और समझना चाहिए कि उनके लिए क्या सही है. साथ ही मूर्ति ने यह भी साफ किया कि लोगों को मजबूर नहीं करना चाहिए कि ‘आपको यह करना चाहिए’ या ‘आपको यह नहीं करना चाहिए.’ कुछ दिन पहले ही लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन ने भी एक मीटिंग के दौरान अपने कर्मचारियों से सप्ताह में 90 घंटे काम करने की वकालत की थी.
उनका कहना था कि मैं चाहता हूं कि लोग रविवार को भी काम करें. इन तमाम बयानों के बाद से ही वर्क लाइफ बैलेंस और मेंटल हेल्थ जैसे मुद्दों पर सुब्रमण्यन और मूर्ति को टारगेट करते हुए तीखी बहस की थी. अब मूर्ति के बयान में तब्दीली, आलोचनाओं के कारण आई है या कोई दूसरी वजह है उसकी जानकारी फिलहाल नहीं है.
Published: January 21, 2025, 11:31 IST