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नेफेड की सोयाबीन बिक्री करने की खबर से अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

नेफेड की बिकवाली की अफवाह के बीच बाजार की कारोबारी धारणा प्रभावित रहने से सरसों तेल तिलहन के दाम में गिरावट देखी गई। घबराहट फैलने के बीच कच्ची घानी मिलवालों ने कई स्थानों पर सरसों के दाम में आज 100 रुपये प्रति क्विंटल की कमी भी की।

  • Money9
  • Last Updated : April 19, 2025, 19:47 IST
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ऑयलसीड
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सहकारी संस्था नेफेड द्वारा सोयाबीन बेचने की पहल संबंधी अफवाहों के जारी रहने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं कम दाम पर बिकवाली से बचने की कोशिया में मंडियों में कम आवक लाने के बीच मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतें पूर्ववत बंद हुई। बाजार सूत्रों ने कहा कि आगामी 21 अप्रैल से सहकारी संस्था, नेफेड द्वारा सोयाबीन बिकवाली शुरु होने की अफवाह है जिसकी वजह से बाजार में घबराहट का माहौल है जिस कारण अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम पर दवाब बना रहा। किसानों की नजर इस बात पर है कि सोमवार को सरकार क्या कदम उठाती है यानी आगे बिजाई का मौसम से पहले सरकार अपने कदम वापस लेती है या सोयाबीन बिक्री की ओर कदम आगे बढ़ायेगी। कुछ लोगों का मानना है कि जब बाजार में हाजिर दाम पहले ही टूटे हुए हैं, उस पर सरकार बिक्री भी करने लगे तो यह एक विनाशकारी कदम साबित होगा।

उन्होंने कहा कि किसानों का जो भरोसा सरकारी खरीद से बना था, बिकवाली के बाद वह भरोसा लंबे समय के लिए खत्म हो सकता है। पहले आंध्र प्रदेश में सूरजमुखी और मूंगफली की जोरदार खेती होती थी, वह किसानों का भरोसा हिलने के ही कारण लगभग 30 सालों से खत्म होता चला गया। अब सूरजमुखी का एमएसपी बढ़ाकर 7,200 रुपये क्विंटल कर देने के बावजूद किसान सूरजमुखी की खेती को ओर नहीं लौटते और सूरजमुखी तेल के मामले में देश लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर हो गया है। सूत्रों ने बताया कि आज शाम को प्राप्त सूचना के अनुसार सोयाबीन तेल उद्योगों के प्रमुख संगठन- ‘सोपा’ ने भी सरकार से ऐसी कोई बिक्री को रोकने की गुहार लगाई है जो विशेषकर सोयाबीन किसानों के लिए नुकसानदेह होगा।

नेफेड की बिकवाली की अफवाह के बीच बाजार की कारोबारी धारणा प्रभावित रहने से सरसों तेल तिलहन के दाम में गिरावट देखी गई। घबराहट फैलने के बीच कच्ची घानी मिलवालों ने कई स्थानों पर सरसों के दाम में आज 100 रुपये प्रति क्विंटल की कमी भी की। यह पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 4-5 प्रतिशत नीचे बिक रहा था और बिकवाली की खबर से रही सही कसर पूरी हो गई। इन सब कारणों से सरसों में गिरावट आई। सूत्रों ने कहा कि आयात करने में बंदरगाह पर सोयाबीन डीगम की लागत 96 रुपये किलों बैठता है और हालत यह है कि 93.50 रुपये किलो के दाम पर लिवाल नहीं मिल रहे। जब सॉफ्ट आयल डीगम का खपना दूभर हो तो पाम, पामोलीन को कौन पूछेगा? अभी भी पाम-पामोलीन का दाम ऊंचा ही माना जायेगा और जब तक सोयाबीन से पर्याप्त कम नहीं होगा, यह खपेगा नहीं। बाजार में घबराहट बने रहने के बीच पाम-पामोलीन के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए। विदेशी तेलों में गिरावट के अनुररूप बिनौला तेल के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि गुजरात में भी सरकार एमएसपी से लगभग 10-15 नीचे दाम पर मूंगफली बेच रही है। मूंगफली का हाजिर दाम एमएसपी से पहले से ही 17-18 प्रतिशत नीचे है। किसान और कितना नीचे दाम पर बेचेंगे? इस असमंजस में किसान मंडियों में अपनी आवक कम ला रहे जिसके कारण मूंगफली तेल-तिलहन के भाव अपरिवर्तित बने रहे। उन्होंने कहा कि बेशक थोक बाजार में मूंगफली तेल में गिरावट की यह स्थिति हो लेकिन खुदरा बाजार की ओर नजर घुमायें तो हालात उलट है और वहां दाम 195 रुपये लीटर तक ऊंचा ही बना हुआ है। यानी सरकार सहित तेल संगठनों को इस पर गौर करना चाहिये कि थोक बाजार की गिरावट का लाभ देश के उपभोक्ताओं को क्यों नहीं मिल रहा है? हमें केवल विदेशी तेल पाम-पामोलीन के आयात पर दृष्टि रखने के साथ साथ देशी तेल-तिलहन कारोबार के उहापोह और उसके निवारण पर भी ध्यान देना होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार के सतत प्रयास के कारण मलेशिया जैसे देश में पिछले 30-40 साल में पाम-पामोलीन का इतना उत्पादन बढ़ गया कि वह आज भारत जैसे विशालकार उपभोक्ता बाजार के लिए पाम-पामोलीन का मुख्य आपूर्तिकर्ता देश बन गया। हमारा देश मंहगाई की ‘अथक चिंताओं’ के बीच निरंतर आयात पर निर्भर होता चला गया। देश में तेल-तिलहन का उत्पादन उस रफ्तार से आगे नहीं बढ़ा है जिस रफ्तार से आबादी एवं खर्च योग्य आय बढ़ने से खद्यतेलों की मांग बढ़ी है।

सूत्रों ने कहा कि बाजार में घबराहटपूर्ण माहौल के बीच पहले से सोयाबीन किसान दवाब का सामना कर हैं और आवक कम ला रहे हैं। घबराहटपूर्ण माहौल के बीच किसान इस बात पर नजर गड़ाये हैं कि सोमवार को सरकार बिक्री करने का कदम वापस लेगी या आगे बढ़ेगी। इन स्थितियों के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन भी पूर्ववत बने रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,225-6,325 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,725-6,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,150 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,245-2,545 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,335-2,435 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,335-2,460 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,225 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,550-4,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,250-4,300 रुपये प्रति क्विंटल।

Published: April 19, 2025, 19:47 IST

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