
स्व-नियामक संगठन भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने बुधवार को कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में समस्या पैदा करने वाले सबसे ज्यादा विज्ञापन डिजिटल मंच पर रहे। विज्ञापन उद्योग के लिए स्व-नियामक संगठन ने रिपोर्ट में कहा कि उसने वर्ष के दौरान नियमों के उल्लंघन की आशंका वाले 7,199 विज्ञापनों की जांच की और उनमें से लगभग 95 प्रतिशत डिजिटल मंचों पर थे।
इसमें कहा गया है कि डिजिटल मंच पर नियमों के उल्लंघन की आशंका वाले विज्ञापनों में से दो-तिहाई से अधिक सोशल मीडिया मंच पर प्रायोजित विज्ञापन थे। जबकि 32 प्रतिशत डिजिटल विज्ञापन कंपनियों की अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया खातों पर दावों से संबंधित थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एएससीआई ने कुल 9,599 शिकायतों पर गौर किया। इनमें से 7,199 की जांच की गयी। कुल जांचे गए विज्ञापनों में 98 प्रतिशत में कुछ संशोधन की आवश्यकता थी। डिजिटल मंचों पर, मेटा में सबसे अधिक 79 प्रतिशत विज्ञापन ऐसे थे, जिसमें समस्याएं थी।
परिषद की मुख्य कार्यपालक अधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा कि स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के लिए डिजिटल मीडिया सबसे बड़ी चुनौती है। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि टीवी, प्रिंट समेत अन्य माध्यमों पर आने वाले विज्ञापनों का प्रसारण एक समान होता है। लेकिन डिजिटल मंचों की एल्गोरिदम-संचालित दुनिया यह सुनिश्चित करती है कि विभिन्न उपयोगकर्ताओं को अपनी स्क्रीन पर अलग-अलग विज्ञापन देखने को मिलें, जिससे निगरानी का काम बहुत मुश्किल हो जाता है। कपूर ने कहा कि एएससीआई अपने प्रौद्योगिकी निवेश को बढ़ा रहा है और डिजिटल जगत में विज्ञापनों पर नजर रखने को उपकरणों की मदद के लिए एक फ्रांसीसी इकाई के साथ समझौता किया है। अन्य देशों में भी डिजिटल विज्ञापनों के साथ इसी तरह की चुनौतियों हैं।
क्षेत्रीय दृष्टिकोण से, जिन 7,078 विज्ञापनों में संशोधन की आवश्यकता थी, उनमें से अधिकांश 43.52 प्रतिशत विदेशी सट्टेबाजी से संबंधित थे, जबकि लगभग 25 प्रतिशत रियल एस्टेट क्षेत्र से थे। स्व-नियामक संगठनों ने सरकारी विनियामकों को उचित कार्रवाई के लिए 3,347 विज्ञापनों की सूचना दी है। इसका कारण वे सट्टेबाजी/जुआ, जादुई स्वास्थ्य उपचार का दावा करने वाली दवाओं, शराब और तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों के विज्ञापन को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों से संबंधित हैं। सट्टेबाजी कंपनियों के अलावा, एप्पल, हिंदुस्तान यूनिलीवर और लोरियल जैसी इकाइयां भी उन इकाइयों में शामिल हैं, जिन्होंने संभावित रूप नियमों के उल्लंघन वाले विज्ञापन दिये हैं। कपूर ने कहा कि ऐसी इकाइयां नियामक के अनुसार तुरंत कार्रवाई करती हैं।
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