
भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्यातकों की समस्या को देखते हुए उन्हें अपनी निर्यात आय देश में लाने के लिए 15 महीने का वक्त दिया है. यह समय सीमा फिलहाल नौ महीने है.
निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो ने आरबीआई के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे निर्यात व्यापार को बड़ी राहत मिलेगी.
अगस्त से भारतीय निर्यात पर अमेरिका के भारी शुल्क लगाने के कारण निर्यातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाया है, जो 27 अगस्त से प्रभावी हुआ.
इस समय निर्यातकों द्वारा किए गए माल या सॉफ्टवेयर निर्यात का मूल्य निर्यात की तारीख से नौ महीने में पूरी तरह से वसूल कर देश में वापस लाना जरूरी है.
विदेशी मुद्रा प्रबंधन (वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात) विनियमों में संशोधन के बाद ये बदलाव किए गए हैं.
आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक रोहित पी दास द्वारा 13 नवंबर को जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि इन नियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन (वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात) (द्वितीय संशोधन) विनियम, 2025 कहा जा सकता है.
आरबीआई ने इससे पहले कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में निर्यातकों के लिए इस समय सीमा को बढ़ाकर 15 महीने कर दिया था.
इसके अलावा आरबीआई ने निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान प्राप्त होने पर माल के निर्यात की अवधि को एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष कर दिया है.
भारतीय निर्यातकों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा, ‘इस विस्तार से निर्यात व्यापार को बड़ी राहत मिलेगी. निर्यातक विदेशी खरीदारों को बेहतर क्रेडिट अवधि प्रदान कर सकेंगे. इस व्यापार-समर्थक फैसले के कारण व्यापार संबंधी अनुपालन और मजबूत होगा. अग्रिम भुगतान मिलने पर भारतीय निर्यातकों को माल के निर्यात के लिए पर्याप्त समय मिलेगा.’’
उन्होंने कहा कि कर्ज और पैकिंग क्रेडिट से जुड़ी राहत उपायों से निर्यातक अपनी नकदी का उचित प्रबंधन कर सकेंगे.
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