
भारतीय बैंकिंग जगत ने शुक्रवार को रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चरणबद्ध कटौती की रिजर्व बैंक की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा कि इन मौद्रिक उपायों से ऋण वृद्धि में तेजी आएगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रेपो दर को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत पर लाने और सीआरआर में एक प्रतिशत कटौती करने की घोषणा की।
सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा कि आरबीआई का यह नीतिगत कदम ‘सक्रिय, अभिनव, लीक से हटकर और अप्रत्याशित’ था। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के भी प्रमुख शेट्टी ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण वृद्धि में संभावित मंदी से जुड़ी सभी चिंताओं पर ‘व्यापक रूप से विचार’ किया है। शेट्टी ने कहा, “यह नीति निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों, विशेषकर बैंकिंग और वित्त के लिए सकारात्मक है। विशेष रूप से उधार लेने की कम लागत किसी भी अनिश्चितता के लिए एक संतुलनकारी कारक के रूप में कार्य करेगी।”
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अशोक चंद्र ने कहा कि आरबीआई के नीतिगत कदम मूल्य और वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, “मुद्रास्फीति में कमी आने और व्यापक आर्थिक संकेतकों में मजबूती दिखाने के साथ, यह नीतिगत कदम ऋण उठाव को समर्थन देगा, निवेशक भावना को बढ़ावा देगा और भारत की वृद्धि गति को और मजबूत करेगा।” इंडियन ओवरसीज बैंक के एमडी एवं सीईओ अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘रेपो दर को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.50 प्रतिशत करने और सीआरआर को चार चरणों में एक प्रतिशत कम करने का निर्णय एक मजबूत तथा समय पर नीतिगत बदलाव को दर्शाता है जो मूल्य स्थिरता के साथ वृद्धि को संतुलित करने के अनुरूप है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सीआरआर में कटौती के निर्णय से बैंकिंग प्रणाली में नकदी में 2.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि से ऋण के मोर्चे पर स्थिति अच्छी होने की उम्मीद है…हमारा मानना है कि इन फैसलों से प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कर्ज विस्तार जरूरी गति मिलने की उम्मीद है, जो समावेशी आर्थिक वृद्धि को तेज करेगा।’’ इंडियन बैंक के एमडी एवं सीईओ बिनोद कुमार ने कहा, ‘‘रेपो दर में कटौती से खुदरा, कृषि तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्यम) जैसे क्षेत्रों में ऋण मांग में वृद्धि होगी। इससे निजी पूंजीगत व्यय को भी बढ़ावा मिलेगा। सीआरआर में कटौती से बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऋण वृद्धि पर आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई बहुत सक्रिय कदम उठा रहा है। कम ब्याज दरें, विशेष रूप से किफायती आवास के लिए खुदरा मांग को बढ़ावा देंगी। अच्छे मानसून के साथ कम ब्याज दरें कृषि क्षेत्र के लिए शुभ संकेत हैं।’’ बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आरबीआई ने रेपो दर में 0.50 प्रतिशत कटौती और सीआरआर में गिरावट के फैसले से आश्चर्यचकित कर दिया है। हालांकि, नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया गया है, जिसका अर्थ यह भी है कि हम निकट भविष्य में दर में कटौती की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘‘रेपो दर में कटौती और सीआरआर को एक प्रतिशत तक घटाने की घोषणा, वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर समग्र मांग को बढ़ावा देने के केंद्रीय बैंक के प्रयासों को दर्शाती है।’’ मुथूट फिनकॉर्प लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) जॉन मुथूट ने रेपो दर में कटौती पर कहा, ‘‘ आरबीआई की मौद्रिक नीति की घोषणा समावेशी वृद्धि को समर्थन देने की दिशा में समय पर उठाया गया और विवेकपूर्ण कदम है। रेपो दर में कटौती और सीआरआर में कमी की घोषणा से न केवल कोष की लागत कम होगी बल्कि बैंक प्रणाली में अधिक नकदी भी आएगी।’’