
चांदी ने सितंबर में 19.4 प्रतिशत की तेजी के साथ सोने को पीछे छोड़ दिया, जबकि इस दौरान पीली धातु की कीमत में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. चांदी की कीमतों में यह वृद्धि मजबूत औद्योगिक मांग और वैश्विक आपूर्ति में कमी के कारण हुई है.
चांदी की कीमतें दो सितंबर को 1,26,000 रुपये प्रति किलोग्राम थी. वह 24,500 रुपये बढ़कर 30 सितंबर को 1,50,500 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं. यह हाल के वर्षों में सबसे तेज मासिक वृद्धि में से एक है. राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को चांदी 1,50,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई. इससे पहले मंगलवार को यह 1,50,500 रुपये प्रति किलोग्राम के अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी.
इसके विपरीत, सितंबर में सोने की कीमतों में 14,330 रुपये प्रति 10 ग्राम या 13.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस महीने की शुरुआत में एक सितंबर को सोने की कीमत 1,05,670 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 30 सितंबर को 1,20,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई.
जिंस बाजार के विशेषज्ञों ने कहा, ”औद्योगिक धातु और अच्छे निवेश के रूप में चांदी की दोहरी भूमिका ने इस महीने के दौरान सोने के मुकाबले इसकी बढ़त को बढ़ा दिया है.”
उन्होंने कहा कि चांदी अच्छा निवेश होने के साथ ही इसकी औद्योगिक मांग भी है. इसकी कुल मांग में औद्योगिक खपत की हिस्सेदारी 60-70 प्रतिशत तक है.
वेंचुरा में जिंस डेस्क और सीआरएम प्रमुख एन एस रामास्वामी ने कहा कि बाजार लगातार सात वर्षों से आपूर्ति की कमी से जूझ रहा है और अकेले सौर पैनल में उपयोग के लिए 2024 में 23.2 करोड़ औंस चांदी की जरूरत होगी. इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों में खासतौर से मांग देखी जा रही है.