
भारत सरकार एच1बी मुद्दे पर आगे का रास्ता खोजने के लिए आईटी उद्योग और अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत कर रही है. सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आवेदन शुल्क में वृद्धि अमेरिकी कंपनियों पर और भी ज्यादा असर डालेगी, क्योंकि ये कंपनियां उच्च कुशल पेशेवरों के लिए खासतौर से इस वीजा कार्यक्रम का इस्तेमाल करती हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिससे एच1बी वीजा आवेदनों का शुल्क सालाना एक लाख अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाएगा.
नियोक्ता के आकार और अन्य लागतों के आधार पर एच1बी वीजा शुल्क अभी तक लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक था. सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार इस पर आगे का रास्ता निकालने के लिए अमेरिकी सरकार, आईटी उद्योग और नैस्कॉम के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है. सूत्रों ने बताया कि चूंकि अमेरिकी कंपनियां इन वीजा की प्रमुख उपयोगकर्ता हैं, इसलिए वे भी इस मामले पर अमेरिकी सरकार के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही हैं.
यूएससीआईएस वेबसाइट के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 (30 जून, 2025 तक के आंकड़े) के लिए अमेजन 10,044 एच-1बी वीजा स्वीकृतियों के साथ सूची में सबसे ऊपर है. शीर्ष दस लाभार्थियों की इस सूची में टीसीएस (5,505) दूसरे स्थान पर है. उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प (5,189), मेटा (5,123), एप्पल (4,202), गूगल (4,181), कॉग्निजेंट (2,493), जेपी मॉर्गन चेज (2,440), वॉलमार्ट (2,390) और डेलॉयट कंसल्टिंग (2,353) का स्थान है. शीर्ष 20 की सूची में इंफोसिस (2,004), एलटीआईमाइंडट्री (1,807), और एचसीएल अमेरिका (1,728) शामिल हैं.