
टाटा पावर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) प्रवीर सिन्हा ने कहा कि टाटा पावर करीब 6,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्थापित होने वाली अपनी 10 गीगावाट वेफर एवं इन्गोट परियोजना को अगले साल जनवरी तक अंतिम रूप देने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने यहां कंपनी के एक कार्यक्रम से इतर कहा कि कंपनी विभिन्न राज्यों के साथ बातचीत कर रही है और जल्द ही इसके लिए स्थान का चयन किया जाएगा। सिन्हा ने इससे पहले आय संबंधी जानकारी देते हुए कहा था कि टाटा पावर अपने ‘बैकवर्ड इंटीग्रेशन’ के हिस्से के रूप में 10 गीगावाट का वेफर एवं इन्गोट संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की अंतिम तिमाही में प्रस्तावित परियोजना को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
सिन्हा ने कहा, ‘‘ जनवरी में हम कुछ घोषणा करेंगे। इस बीच, हम परियोजना के लिए संभावित स्थल की खोज जारी रखेंगे।’’
कंपनी ओडिशा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में विभिन्न स्थानों की खोज कर रही है।
सिन्हा ने कहा, ‘‘ स्थान के अंतिम चयन से पहले हम राज्य की नीतियों और प्रोत्साहनों पर विचार कर रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि टाटा पावर इस परियोजना में 6,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
जल एवं इन्गोट परियोजना की स्थापना से टाटा पावर सौर ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्र में एक पूर्ण एकीकृत कंपनी बन जाएगी। कंपनी मॉड्यूल और सेल का विनिर्माण करती है।
टाटा पावर कंपनी लिमिटेड, एक अग्रणी एकीकृत बिजली कंपनी है जिसके पास थर्मल, सौर एवं पवन ऊर्जा सहित 15.9 गीगावाट का विविध खंड है।
टाटा समूह की यह इकाई परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी विस्तार करने की योजना बना रही है।
कंपनी, निजी कंपनियों के परमाणु क्षेत्र में प्रवेश के लिए आवश्यक कानूनी संशोधनों के बाद 20-50 मेगावाट क्षमता वाली छोटी मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) परियोजनाओं की स्थापना की संभावनाओं का पता लगाएगी।
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