
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के तहत दर्ज मामलों को निपटाने का फैसला किया है. यह कानून 25 साल से अधिक पहले 1998 में खत्म कर दिया गया था.
वर्ष 1973 के आपराधिक प्रावधानों से युक्त फेरा कानून की जगह जून 2000 में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) ने लिया, जो एक दीवानी कानून है.
अधिकारियों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि संघीय जांच एजेंसी ने ऐसे करीब 400-500 मामलों की पहचान की है, जिनमें फेरा के तहत विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों को तेजी से निपटाया जा सकता है. इन मामलों में आरोपी व्यक्ति की या तो मृत्यु हो चुकी है, या उनका कोई पता नहीं है, जिन संपत्तियों को लेकर सवाल थे, वे नीलाम हो चुकी हैं या अब हैं ही नहीं.
अधिकारियों ने कहा कि इस प्रक्रिया को अगले कुछ महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, और 2026 की पहली तिमाही तक यह काम पूरा हो सकता है. फेरा के तहत आखिरी कारण बताओ नोटिस मई 2002 में जारी किए गए थे.
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