
भारत ने बुधवार को विकासशील और अल्प विकसित देशों से शुल्क बाधाएं, एकतरफा पर्यावरणीय प्रतिबंध और सेवा क्षेत्र में आने वाली रुकावटों जैसी वैश्विक व्यापार से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया.
जिनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) के 16वें सत्र को संबोधित करते हुए वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि ‘ग्लोबल साउथ’ अपनी साझा चिंताओं पर एकजुट होकर आवाज उठाए.’’
उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया अस्थिर स्थिति में है, जहां वैश्विक व्यापार प्रणाली कई तरह की अनिश्चितताओं, चुनौतियों और अस्पष्टताओं से घिरी हुई है.
गोयल ने कहा, ‘‘हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जहां बहुपक्षीय संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों के बीच विश्वास की भारी कमी है. हमें हर दिन कई गंभीर और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘नियम-आधारित व्यापार प्रणाली में लोगों का भरोसा कमजोर हो रहा है. बाजार से इतर प्रथाएं बढ़ रही हैं. मुक्त व्यापार में शुल्क और गैर-शुल्क अड़चनें आ रही हैं. साथ ही आपूर्ति श्रृंखला का अत्यधिक केंद्रीकरण भी एक बड़ी समस्या बन गई है. चाहे वह उत्पादन स्तर पर हो या कभी-कभी मांग के स्तर पर.’’
गोयल ने यह भी बताया कि जब विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई थी, तब विकासशील और अल्प विकसित देशों को जो विशेष और अलग तरह की सुविधाएं दी गई थीं, उनमें अब ढील दी जा रही है.
मंत्री ने कुछ देशों और भौगोलिक क्षेत्रों द्वारा लगाए जा रहे एकतरफा पर्यावरणीय प्रतिबंधों, दुनिया को विभाजित करने वाली प्रौद्योगिकियों और सेवा क्षेत्र में प्रतिबंधात्मक नीतियों जैसी बाधाओं पर भी चिंता जताई.
उन्होंने कहा, ‘‘ये मुद्दे हमारे सामने खुले तौर पर मौजूद हैं और हमें इन्हें देखने तथा इनका समाधान करने का प्रयास करना चाहिए.’’
उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां विशेष रूप से कम विकसित और विकासशील देशों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं, क्योंकि उनके सामने विकास का एजेंडा है. वे तरक्की करना चाहते हैं, गरीबी से बाहर निकलना चाहते हैं और अपने नागरिकों को बेहतर जीवन स्तर देना चाहते हैं.
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