
अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सोमवार को 25 पैसे फिसल कर 90.74 (अस्थायी) प्रति डॉलर के अबतक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। भारत–अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली के चलते रुपये में गिरावट आई।
एक समय यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90.80 तक आ गया था।।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि जोखिम से बचने की धारणा और आयातकों की ओर से डॉलर की मजबूत मांग ने निवेशकों की धारणाओं को और कमजोर किया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 90.53 पर खुला, लेकिन बाद में फिसलते हुए कारोबार के दौरान 90.80 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गया, जो उसके पिछले बंद भाव से 31 पैसे की गिरावट है।
कारोबार में अंत में यह 25 पैसे टूटकर 90.74 (अस्थायी) के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। भारतीय मुद्रा शुक्रवार को 17 पैसे गिरकर 90.49 पर बंद हुई थी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ”रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है और एशियाई मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। विदेश व्यापार के अपेक्षा से बेहतर आंकड़ों के बावजूद रुपये को कोई समर्थन नहीं मिल सका।”
परमार ने कहा, ”इस कमजोरी का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति में बड़ा असंतुलन है। इसका कारण आयातकों की ओर से डॉलर की ऊंची मांग और लगातार पूंजी निकासी है।”
उन्होंने कहा कि निकट अवधि में हाजिर बाजार में रुपये पर दबाव बना हुआ है। इसे प्रमुख रूप से 90.95 पर प्रतिरोध और 90.50 पर समर्थन स्तर है।
इस बीच, वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच मसौदा व्यापार समझौता बहुत जल्द हो सकता है, हालांकि उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.32 पर था।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.21 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61.25 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 1,114.22 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
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