
भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में, चाहे वैल्यू सेगमेंट हो या कोई और श्रेणी हो, ICICI प्रुडेंशियल वैल्यू फंड सबसे लोकप्रिय फंडों में से एक बन चुका है. यह एक असली वैल्यू फंड है और उन सबसे बड़े वैल्यू फंडों में गिना जाता है, जो कंपनियों के शेयर पहचानने में लगातार सफल रहा है और जिनकी कीमत उनकी असली वैल्यू से कम पर ट्रेड हो रही होती है. फंड का फोकस ऐसी मजबूत कंपनियों को पहचानने पर रहता है जिनका बिजनेस मॉडल टिकाऊ है, जिनके मूलभूत संकेतक (fundamentals) बेहतर हो रहे हैं और जिनकी मैनेजमेंट टीम भरोसेमंद है, लेकिन जिनके शेयर अस्थायी रूप से गलत कीमत पर उपलब्ध हैं. ऐसी रणनीति ने अब तक फंड को कीमतों के जाल (value trap) से बचाए रखा है.
इस फंड में अगर शुरुआत में यानी 16 अगस्त 2004 को Rs 10 लाख लगाए होते, तो 31 अक्टूबर 2025 तक यह रकम लगभग Rs 4.85 करोड़ हो जाती. यह 20.1% का बहुत बढ़िया CAGR (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) है. इसी अवधि में अगर Nifty 50 TRI में इतनी ही रकम लगाई जाती, तो वह लगभग Rs 2.1 करोड़ बनती.
फंड के SIP रिटर्न भी काफी प्रभावशाली रहे हैं. शुरुआत से अब तक, हर महीने 10,000 रुपये के SIP से कुल 25.5 रुपये लाख का निवेश हुआ होता, जो 31 अक्टूबर 2025 तक 2.4 रुपये करोड़ का हो गया होता. वहीं, बेंचमार्क में इतनी ही SIP निवेश का मूल्य 1.2 करोड़ रुपये होता.
खासकर पिछले एक साल और तीन साल के प्रदर्शन की बात करें, तो फंड ने अपने बेंचमार्क को क्रमशः 2% और 4.8% से पछाड़ा है. इसी वजह से ज्यादातर समयावधियों में यह फंड वैल्यू कैटेगरी के शीर्ष प्रदर्शनकर्ताओं (top performers) में शामिल रहता है.
यह फंड बाजार की अलग-अलग श्रेणियों (लार्ज, मिड और स्मॉल कैप) में अवसर तलाशने की पूरी स्वतंत्रता रखता है और सेक्टर अलोकेशन में बेंचमार्क को फॉलो नहीं करता. फिलहाल फंड सॉफ्टवेयर, फार्मा-हेल्थकेयर और बैंकिंग सेक्टर में अधिक निवेश रखता है और सीमेंट, इंटरनेट, रिटेल और मेटल्स पर कम दांव लगाए हुए है. 31 अक्टूबर 2021 तक, फंड के पोर्टफोलियो का 87% हिस्सा लार्ज कैप में है और बाकी मिड व स्मॉल कैप शेयरों में फैला हुआ है.
ऐसे समय में जब घरेलू बाजार लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं, तो निवेशकों के सामने यह सवाल आता है कि क्या अभी वैल्यू फंड में निवेश करना सही है? ICICI प्रुडेंशियल वैल्यू फंड के फंड मैनेजर और ED एवं CIO संकरण नरेन के अनुसार, जब वैल्यूएशन ऊंचे हों और दुनियाभर के इंडेक्स अपने ऐतिहासिक उच्च स्तरों के आस-पास हों, तब निवेशक दो तरीके अपना सकते हैं. पहला, एसेट अलोकेशन को फॉलो करना और दूसरा, वैल्यू इन्वेस्टिंग का विकल्प चुनना. क्योंकि तेजी वाले बाजार में भी कुछ सेक्टर या शेयर ऐसे होते हैं जो कमजोर प्रदर्शन के दौर से गुजरते हैं, और यही समय निवेश के बेहतर मौके देता है. साथ ही, कुछ कंपनियां या सेक्टर ऐसे भी रहते हैं जिन्हें कम तवज्जो मिलती है, और वहां धैर्य रखने वाले निवेशकों को अच्छा एंट्री पॉइंट मिल सकता है. इसी संदर्भ में उनका मानना है कि मौजूदा बाजार माहौल में क्वालिटी थीम तुलनात्मक रूप से बेहतर वैल्यू प्रदान करती दिखती है. नरेन एक ऐसे अनुभवी मैनेजर हैं, जो वैल्यू इन्वेस्टिंग में विशेषज्ञ माने जाते हैं और उनका नाम देश के प्रमुख वैल्यू निवेशकों में शुमार होता है.
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