NSE ने बुधवार को अपने इन्वेस्टर बेस को लेकर लेटेस्ट डाटा जारी किया है. इस डाटा के मुताबिक NSE के साथ रजिस्टर्ड इन्वेस्टर्स की संख्या 11 करोड़ से ज्यादा हो गई है. इसके साथ ही कुल एक्टिव अकाउंट की संख्या 21 करोड़ से ज्यादा है. NSE ने एक स्टेटमेंट में यह जानकारी देते हुए कहा, National Stock Exchange (NSE) पर रजिस्टर्ड यूनीक इन्वेस्टर्स का बेस 20 जनवरी, 2025 को 11 करोड़ पार हो गया. इसके साथ ही एक्सचेंज के साथ रजिस्टर्ड क्लाइंट कोड (अकाउंट) की कुल संख्या 21 करोड़ से अधिक हो गई है.
NSE के स्टेटमेंट के मुताबिक रजिस्टर्ड इनवेस्टर्स की संख्या 5 वर्ष इसमें 360 फीसदी बढ़ी है. 1994 में NSE की शुरुआत के बाद पहले 1 करोड़ इन्वेस्टर 14 साल में जुटे. इसके बाद अगले 1 करोड़ रजिस्ट्रेशन 7 साल में आए. उसके बाद अगले एक करोड़ के लिए 3.5 साल लगे. इसके बाद 3 से 4 करोड़ की संख्या होने में एक साल से थोड़ा अधिक समय लगा. इसके बाद लगभग हर 6-7 महीने में 1 करोड़ निवेशक रजिस्टर हुए हैं. निवेशकों की संख्या 10 से 11 करोड़ होने में केवल 5 महीने का वक्त लगा है. यह बदलाव शेयर बाजार को लेकर निवेशकों के उत्साह को दर्शाता है.
NSE के स्टेटमेंट के मुताबिक पिछले 5 महीनों में हर दिन 47,000 से 73,000 के नए निवेशक बाजार से जुड़े हैं. NSE के मुताबिक यह वृद्धि कई प्रमुख कारकों से प्रेरित है, जिसमें डिजिटलीकरण की तीव्र प्रगति, निवेशकों की बढ़ती जागरूकता, वित्तीय समावेशन के प्रयास और बाजार का मजबूत प्रदर्शन अहम हैं.
NSE के स्टेटमेंट के मुताबिक पिछले 10 साल में NSE में लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में 600 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 1 मई, 2014 को NSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 73.5 लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 425 लाख करोड़ हो गया है.
बाजार में आने वाले नए युवा निवेशकों की वजह से अब निवेशकों की औसत आयु 32 के करीब है. इनमें से 40% 30 वर्ष से कम आयु के हैं. वहीं, पांच वर्ष पहले निवेशकों की औसत आयु 38 वर्ष थी. इसके अलावा आज हर चार में से एक निवेशक महिला है.
निवेशकों को ज्योग्राफिक स्प्रेड के लिहाज से देखें, तो आज देश के 99.84% पिनकोड ऐसे हैं, जहां के निवेशक बाजार में रजिस्टर्ड हैं. इस तरह सिर्फ शहरी लोगों के बाजार में निवेश करे का मिथ भी टूट गया हे. हाल में ही जो एक करोड़ नए रजिस्ट्रेशन हुए हैं, उनमें 40% उत्तर भारत के लोग हैं.
NSE के स्टेटमेंट के मुताबिक प्रत्यक्ष बाजार के साथ ही अप्रत्यक्ष बाजार में भी निवेशकों की तादाद बढ़ी है. जुलाई और दिसंबर 2024 के बीच लगभग 3.7 करोड़ (37 मिलियन) नए एसआईपी खाते खोले गए. इसके अलावा, इस अवधि के दौरान औसत मासिक एसआईपी प्रवाह 24,748 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले छह महीनों (जनवरी 24-जून 24) में 19,972 करोड़ रुपये था.
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