भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल ने बुधवार को ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के लिए एक अलग स्वैच्छिक गैर-सूचीबद्धता (शेयर बाजार से हटना) का ढांचा पेश करने का फैसला किया जिनमें सरकार के पास 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।
इसके साथ ही निदेशक मंडल ने उन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अनुपालन नियमों को आसान बनाने का फैसला किया, जो केवल भारत सरकार से बॉन्ड (आईजीबी) में निवेश करते हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के निदेशक मंडल की यहां हुई बैठक में इस तरह के कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
प्रवर्तक के रूप में पहचाने जाने वाले स्टार्टअप संस्थापकों को कंपनी का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने से एक साल पहले आवंटित ईएसओपी (ईसॉप) को बनाए रखने की भी मंजूरी दी गई।
इसके अलावा बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) आवंटन संबंधी दस्तावेज़ की सामग्री को युक्तिसंगत बनाने की अनुमति देने के प्रस्ताव को भी निदेशक मंडल ने मंजूरी दी।
निदेशक मंडल की बैठक खत्म होने के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, सेबी ने निदेशकों और प्रमुख प्रबंध कर्मचारियों सहित चुनिंदा शेयरधारकों के लिए आईपीओ दस्तावेज दाखिल करने से पहले डीमैट रूप में शेयर रखना भी अनिवार्य कर दिया है।
यह तुहिन कांत पांडेय के सेबी चेयरमैन बनने के बाद निदेशक मंडल की दूसरी बैठक थी। पांडेय ने इस साल एक मार्च को बाजार नियामक के प्रमुख का पद संभाला था।
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