अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (एआईआरईए) के अध्यक्ष सतीश गोयल ने शुक्रवार को कहा कि बासमती चावल की कीमतों में हालिया वृद्धि अधिक मांग के कारण हुई है और इसका भारत-पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि बासमती चावल की किस्मों 1509 और 1718 के निर्यात मूल्य में मार्च से थोड़ी वृद्धि हुई है, जिसका कारण मांग में वृद्धि है न कि दोनों देशों के बीच जारी सैन्य तनातनी के कारण आपूर्ति में व्यवधान।
गोयल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ बासमती की कीमतों में बढ़ोतरी भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के कारण नहीं हुई है। सऊदी अरब, ईरान और इराक से अधिक मांग के कारण कीमतों में मामूली वृद्धि हुई है।’’
उन्होंने कहा कि अभी तक व्यापार प्रभावित नहीं हुआ है और ऑर्डर सुचारू रूप से पूरे किए जा रहे हैं।
एआईआरईए के पूर्व अध्यक्ष विजय सेठिया ने कहा कि सितंबर 2024 में बासमती चावल, खास तौर पर 1509 किस्म की कीमत 62 रुपये प्रति किलोग्राम के उच्च स्तर पर थी। उसके बाद, मुख्य रूप से अधिक फसल की आवक के कारण कीमतों में गिरावट आई। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में 1509 धान के साथ-साथ अन्य बासमती किस्मों की बड़ी आवक के कारण कीमतों पर दबाव पड़ा।
फरवरी तक 1509 धान किस्म की कीमतें 52 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। हालांकि, मार्च में मांग बढ़ने से कीमतें थोड़ी बढ़कर 58 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि कीमतें अब भी सितंबर 2024 के स्तर से नीचे हैं।
सेठिया ने कहा, ‘‘ इसका दोनों देशों के बीच जारी तनाव से कोई लेना-देना नहीं है।’’
भारत ने 2024-25 में लगभग 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जबकि पाकिस्तान ने करीब 10 लाख टन का निर्यात किया था।
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