ड्रोन से 2030 तक भारत की विनिर्माण क्षमता 23 अरब डॉलर तक बढ़ सकती है: रिपोर्ट

रिपोर्ट 15 शहरों की 150 कंपनियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसके मुताबिक, 40 प्रतिशत ड्रोन कंपनियों का मानना ​​​​है कि रक्षा क्षेत्र के बाद 2030 तक भारत में कृषि क्षेत्र में ड्रोन की सबसे अधिक मांग होने का अनुमान है।

The aggregate debt-to-GDP ratio of states, which was 31% at the end of March 2021 and is predicted to remain at that level by the end of March 2022, "is concerningly higher than the aim of 20% to be achieved by 2022-23," according to the report.

ड्रोन उद्योग से 2030 तक देश की विनिर्माण क्षमता 23 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकती है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताते हुए कहा गया है कि रक्षा, कृषि, लॉजिस्टिक और बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों से बढ़ती मांग के कारण ऐसा होगा।

‘नेक्सजेन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रोन आधुनिक युद्ध रणनीतियों में एक प्रमुख माध्यम के रूप में उभर रहा है। गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कारण देश में ड्रोन को अपनाने में उल्लेखनीय बदलाव हुए हैं।

रिपोर्ट 15 शहरों की 150 कंपनियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसके मुताबिक, 40 प्रतिशत ड्रोन कंपनियों का मानना ​​​​है कि रक्षा क्षेत्र के बाद 2030 तक भारत में कृषि क्षेत्र में ड्रोन की सबसे अधिक मांग होने का अनुमान है।

इसके अनुसार, वैश्विक कृषि ड्रोन बाजार का आकार 2030 तक 5.89 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस गति को और आगे बढ़ाने के अपने प्रयास में दिल्ली 31 जुलाई से एक अगस्त, 2025 तक ‘ड्रोन इंटरनेशनल एक्सपो 2025’ की मेजबानी कर रही है।

नेक्सजेन एग्जिबिशन के इस आयोजन में रूस, ताइवान, कनाडा, यूक्रेन और भारत सहित छह से अधिक देशों के नवीनतम नवाचार को प्रदर्शित किया जाएगा। एक्सपो में 50 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ड्रोन निर्माता अपने उत्पाद नवाचारों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

नेक्सजेन एग्जिबिशन के निदेशक आधार बंसल ने बयान में कहा, ‘‘पूरी दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ड्रोन की प्रभावशाली क्षमताओं को देखा है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि स्वदेशी ड्रोन को अपनाने से ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती मिलेगी और कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय समृद्धि को समर्थन मिलेगा।’’

Published: July 7, 2025, 19:28 IST
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