अमेरिकी शुल्क से रोजगार पर असर को लेकर विशेषज्ञ बंटे

उसने आगे कहा, ‘‘इसी तरह, हीरा और आभूषण उद्योग में भी हजारों नौकरियां खतरे में हैं, क्योंकि अमेरिका में मांग कम हो रही है और लागत बढ़ रही है।’’

During the week, we witnessed many astonishing moves in midcap and small-cap stocks and traders can continue with the stock-centric approach; however they need to be very selective going ahead as we are approaching the resistance zone. 

अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए भारी शुल्क ने भारत में रोजगार को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

कुछ विशेषज्ञ तत्काल नौकरियों के संकट की चेतावनी दे रहे हैं, जबकि कुछ अन्य का मानना है कि भारत की घरेलू मांग और व्यापार में विविधता इस प्रभाव को कम करने में मदद करेगी।

कार्यबल समाधान और मानव संसाधन सेवा प्रदाता जीनियस एचआरटेक के संस्थापक, चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर पी यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अमेरिका द्वारा हाल में लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों का भारत के रोजगार परिदृश्य पर सीधा और व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका है। इसका विशेष रूप से उन उद्योगों पर असर पड़ेगा जो कारोबार की निरंतरता और वृद्धि के लिए अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर हैं।’’

यादव ने कहा कि कपड़ा उद्योग, वाहन कलपुर्जे बनाने वाले, कृषि और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इसका सबसे बड़ा बोझ सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) पर पड़ेगा।

उनका अनुमान है कि लगभग दो से तीन लाख नौकरियां खतरे में हैं। सिर्फ कपड़ा उद्योग में ही, जो ज्यादा श्रम पर निर्भर है, अगले छह महीने से ज्यादा अगर यह शुल्क जारी रहा तो लगभग एक लाख नौकरियां जा सकती हैं।

उसने आगे कहा, ‘‘इसी तरह, हीरा और आभूषण उद्योग में भी हजारों नौकरियां खतरे में हैं, क्योंकि अमेरिका में मांग कम हो रही है और लागत बढ़ रही है।’’

हालांकि, टीमलीज़ सर्विसेज़ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बालासुब्रमण्यम आनंद नारायणन का मानना है कि नौकरियों के जाने की संभावना फिलहाल नहीं है।

उनका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था ज़्यादातर घरेलू खपत पर आधारित है, जबकि चीन की ज़्यादा निर्भरता निर्यात पर है।

उन्होंने कहा, “फिलहाल हमें न तो सुस्ती के और न ही नौकरियां जाने के कोई संकेत दिख रहे हैं। इसका मतलब यह भी है कि हमारी ज्यादातर नौकरियां घरेलू मांग पर आधारित हैं, सिर्फ कुछ क्षेत्र जैसे सूचना प्रौद्योगिक संबद्ध (आईटीईएस) को छोड़कर। अमेरिका को हमारा निर्यात 87 अरब डॉलर का है, जो हमारे कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 2.2 प्रतिशत है। दवा उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे बड़े क्षेत्र अभी प्रभावित नहीं होंगे। इससे यह असर सीमित होकर कपड़ा, रत्न-आभूषण जैसे उद्योगों तक ही रहेगा।’

उन्होंने कहा, ‘‘ये शुल्क इस महीने के अंत तक लागू होंगे और उससे पहले कुछ बातचीत होने की संभावना है।’

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी ओर, हमारे लिए कुछ अच्छी खबरें भी रही हैं, जैसे हाल ही में ब्रिटेन और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हुए हैं। अगर अमेरिका ये नए शुल्क लागू भी करता है, तो हम अपने व्यापार को दूसरी बाज़ारों की ओर मोड़ने या विविध बनाने का रास्ता ज़रूर निकाल लेंगे। इसलिए फिलहाल हमें नौकरियों में कमी के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। यह स्थिति लगातार बदल रही है और आने वाले समय में हमें और स्पष्टता मिलेगी।’

Published: August 17, 2025, 18:46 IST
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