
बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में ऊंचे भाव के कारण मांग प्रभावित रहने की वजह से सरसों तेल-तिलहन तथा लागत से कम दाम पर बिकवाली होने से सोयाबीन तेल तथा सर्दी में मांग प्रभावित रहने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम में गिरावट रही.
दूसरी ओर, सर्दी में सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग बढ़ने से सोयाबीन तिलहन तथा अच्छी गुणवत्ता वाले मूंगफली की मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार दर्ज हुआ.
बाजार सूत्रों ने कहा कि ऊंचे दाम होने के कारण सरसों में लिवाली कमजोर है. इससे कारोबारी धारणा भी प्रभावित हुई है. सरसों की बड़ी मिलें दामों में उतार-चढ़ाव पैदा करने में लगी हैं जिससे तेल की छोटी मिलों का कामकाज प्रभावित हो रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार को सरसों की आगामी फसल की खरीद करने के मकसद से अपने पहले के स्टॉक को खाली करने की ओर ध्यान देना होगा.
सूत्रों ने कहा कि कमजोर हाजिर दाम होने की वजह से किसान बाजार में आवक कम ला रहे हैं. दूसरा, सर्दियों में सोयाबीन डीओसी की मांग सामान्य तौर पर बढ़ जाती है. इन वजहों से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तिलहन के दामों में सुधार आया
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, आयातकों द्वारा निरंतर लागत से कम दाम पर बिकवाली करने से सामान्य कारोबारी धारणा प्रभावित रहने के कारण बीते सप्ताह सोयाबीन तेल के दाम में गिरावट रही.
वैसे सोयाबीन के हाजिर दाम एमएसपी से लगभग 14-15 प्रतिशत नीचे हैं और हल्के तेलों (साफ्ट आयल) में यह सबसे सस्ता है. घाटे के कारोबार के लंबे सिलसिले के कारण दिसंबर में सोयाबीन तेल का आयात कम हुआ है और आने वाले महीनों में यह और कम होने की संभावना है.
यह एक अजीब बिडंबना है कि जिस देश में खाद्यतेलों की लगभग 60 प्रतिशत की कमी हो, वहां आयातकों को काफी लंबे समय तक लागत से नीचे दाम पर खाद्यतेल बेचना पड़े. इस पहेली को सुलझाने में ही खाद्यतेल-तिलहन कारोबार का बेहतर भविष्य का रास्ता प्रशस्त हो सकता है.
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का हाजिर दाम एमएसपी से लगभग 15-16 प्रतिशत नीचे है. लेकिन अच्छी गुणवत्ता के मूंगफली की सर्दी में मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार है.
उन्होंने कहा कि पाम-पामोलीन तेल के मामले में सट्टेबाज बाजार में सक्रिय हैं. लेकिन विगत दो तीन दिनों से वे बाजार तोड़ने में लगे हैं. इससे पहले ये सट्टेबाज बाजार में पाम-पामोलीन का दाम ऊंचा बोल रहे थे. सर्दी में पाम पामोलीन की मांग वैसे भी कमजोर रहती है. मांग प्रभावित रहने से बीते सप्ताह पाम-पामोलीन के दाम में गिरावट आई.
सुस्त कामकाज के बीच बिनौलातेल के दाम स्थिर बने रहे.
सूत्रों ने कहा कि समीक्षकों को पाम-पामोलीन में तेजी की संभावना व्यक्त करते पाया जाता था. लेकिन हकीकत में पाम-पामोलीन के दाम टूट रहे हैं. जब तथ्य अनुमान के उलट हों तो इन समीक्षकों का मौन संदेह पैदा करता है कि इनके हित कहां जुड़े हैं.
बीते सप्ताह सरसों दाना 25 रुपये की गिरावट के साथ 6,925-7,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. दादरी मंडी में बिकने वाला सरसों तेल 25 रुपये की गिरावट के साथ 14,475 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,430-2,530 रुपये और 2,430-2,575 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ.
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 50-50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,700-4,750 रुपये और 4,400-4,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए.
दूसरी ओर, दिल्ली में सोयाबीन तेल 75 रुपये की गिरावट के साथ 13,425 रुपये प्रति क्विंटल, इंदौर में सोयाबीन तेल 75 रुपये की गिरावट के साथ 13,025 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 110 रुपये की गिरावट के साथ 10,190 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.
मांग बढ़ने की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में भी सुधार देखने को मिला. मूंगफली तिलहन 100 रुपये के सुधार के साथ 6,450-6,825 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 400 रुपये के सुधार के साथ 15,500 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 60 रुपये के सुधार के साथ 2,485-2,785 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ.
दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 125 रुपये की गिरावट के साथ 11,200 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 13,000 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 12,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.
सुस्त कामकाज के बीच, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम 12,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बंद हुए.
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