
देश में गन्ने पर रिसर्च के लिए आईसीएआर में एक अलग से टीम बनाई जाएगी जो गन्ने की पॉलिसी और उत्पादन से जुड़ी व्यावहारिक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करेगी. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि इस समय गन्ने की 238 वैरायटी में चीनी की मात्रा अच्छी है, लेकिन रेड रॉट जैसी बीमारियों का खतरा बना हुआ है. ऐसे में नई वैरायटी के साथ-साथ रोग नियंत्रण पर भी ध्यान देना होगा. चौहान के अनुसार मोनोक्रॉपिंग कई रोगों को आमंत्रित करती है और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी पैदा करती है. इसलिए इंटरक्रॉपिंग पर काम करने की जरुरत है.
चौहान ने कहा कि बायो प्रोडक्ट्स,एथेनॉल और मोलासेस का इस्तेमाल किसानों की आय बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्राकृतिक खेती और उर्वरक प्रबंधन पर रिसर्च बढ़ाने की जरूरत है. इसके साथ ही गन्ने के भुगतान में देरी, मजदूरी और कैपेसिटी बिल्डिंग जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हर ड्रॉप मोर क्रॉप जैसी तकनीकों को अपनाकर पानी की बचत की जा सकती है, लेकिन किसानों को इसके लिए निवेश करने की क्षमता होनी चाहिए.उन्होंने उत्पादन बढ़ाने, लागत कम करने, चीनी की रिकवरी बढ़ाने पानी की खपत घटाने और मैकेनाइजेशन बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भी जोर दिया. केंद्रीय मंत्री ने यह बातें आईसीएआर और रुरल वॉयस के एक कार्यक्रम में कहीं.उन्होंने कहा कि आजकल श्रमिक आसानी से नहीं मिलते है.यह देखना चाहिए कि क्या हम ट्रेनिंग देकर कैपेसिटी बिल्डिंग का काम कर सकते हैं.
सेमिनार में आईसीएआर के महानिदेशक और डेयर सचिव डॉ. एम.एल. जाट ने कहा कि गन्ने में पानी का काफी उपयोग होता है, फर्टिलाइजर का भी काफी इस्तेमाल होता है. पानी की समस्या दूर करने के लिए कई अनुसंधान हुए हैं. महाराष्ट्र की तरह अन्य जगहों पर भी गन्ने में माइक्रो इरिगेशन हो तो पानी की बचत होगी. जिस तरीके से फर्टिलाइजर का इस्तेमाल होता है वह ठीक नहीं है.उर्वरकों की एफिशिएंसी बढ़ाना जरूरी है. महाराष्ट्र की तरह अन्य जगहों पर भी गन्ने में माइक्रो इरिगेशन हो तो पानी की बचत होगी. जिस तरीके से फर्टिलाइजर का इस्तेमाल होता है वह ठीक नहीं है. उर्वरकों की एफिशिएंसी बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मोनोक्रॉपिंग दूर करने के लिए विविधीकरण आवश्यक है. गन्ने के साथ इंटरक्रॉपिंग में दलहन और तिलहन का प्रयोग किया जा सकता है.