
श्रीलंका के पूर्वोत्तर क्षेत्र में अदाणी ग्रीन एनर्जी की योजनाओं के खिलाफ दायर पांच मौलिक अधिकार याचिकाओं को वापस ले लिया गया है. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिकाएं अटॉर्नी जनरल की तरफ से दायर एक प्रस्ताव के बाद वापस ली हैं. अदाणी ग्रीन एनर्जी द्वारा श्रीलंका के निवेश बोर्ड को पवन ऊर्जा परियोजनाओं से पीछे हटने की सूचना देने के बाद यह प्रस्ताव लाया गया है.
अरबपति गौतम अदाणी की अगुवाई वाले समूह की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी ने पिछले महीने कहा था कि वह मन्नार और पूनरी में प्रस्तावित पवन ऊर्जा परियोजना में आगे की भागीदारी से अलग हो रही है.
दरअसल, इन परियोजनाओं का श्रीलंका के अधिकार कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे थे. पिछले साल मई में पिछली सरकार द्वारा परियोजना को मंजूरी दिए जाने के बाद 2024 में मौलिक अधिकार याचिकाएं दायर की गई थीं. इनमें परियोजना के पर्यावरणीय खतरों और पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा किया गया था.
दिसंबर के अंत में राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के नेतृत्व वाली नई श्रीलंकाई सरकार ने परियोजना की समीक्षा करने और बिजली खरीद समझौते पर फिर से बातचीत करने का निर्णय लिया था. उसके बाद अदाणी समूह ने इस परियोजना से अपने हाथ पीछे खींच लिए.
दरअसल, श्रीलंका की नई सरकार का मानना है कि इस परियोजना के लिए निर्धारित बिजली मूल्य बहुत अधिक है लिहाजा इसे आठ सेंट से घटाकर छह सेंट से नीचे लाने की जरूरत है.
सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव से पहले नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी) सरकार ने परियोजना को रद्द करने का वादा किया था. दिसंबर के अंत में, नए मंत्रिमंडल ने खरीद मूल्य पर फिर से बातचीत करने का विकल्प चुना.
श्रीलंकाई सरकार के प्रवक्ता नलिंदा जयथिसा ने कम यूनिट कीमतों पर सरकार का आग्रह मंगलवार को एक बार फिर दोहराया.