प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले सप्ताह दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे सऊदी अरब

विदेश सचिव ने कहा कि भारत और सऊदी अरब द्वारा अपने रक्षा संबंधों को भी मजबूत करने की उम्मीद है, जिसमें अधिक सैन्य अभ्यास और उच्च स्तरीय संपर्कों के लिए रूपरेखा तैयार करना शामिल हो सकता है. प्रधानमंत्री के रूप में यह मोदी की सऊदी अरब की तीसरी यात्रा होगी. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक और व्यापारिक संपर्कों का लंबा इतिहास है तथा उनके बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी

अगले सप्ताह दो दिन के लिए सऊदी अरब जा रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों पक्ष ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाते नजर आने वाले हैं तथा भारत के लिए रियाद की 100 अरब डॉलर की निवेश योजना में तेजी भी आने वाली है. मोदी संपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने तथा पश्चिम एशिया की संपूर्ण स्थिति समेत क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान करने के वास्ते सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान के साथ व्यापक चर्चा करने के लिए दो दिन के लिए मंगलवार को वहां जा रहे हैं.

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को यहां प्रेसवार्ता में कहा कि मोदी-सलमान वार्ता के बाद दोनों पक्षों द्वारा हरित हाइड्रोजन पर करार समेत कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये जाने की उम्मीद है.उन्होंने कहा कि भारत-सऊदी अरब ऊर्जा सहयोग में एक ‘रणनीतिक’ आयाम जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. हालांकि उन्होंने इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया.

विदेश सचिव ने कहा कि मोदी की यात्रा भारत एवं सऊदी अरब के बीच पहले से ही मजबूत रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी. मिसरी ने यह भी संकेत दिया कि भारत में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की सऊदी अरब की योजना को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा हो सकती है. वर्ष 2019 में क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा के दौरान, सऊदी अरब ने ऊर्जा क्षेत्र और कुछ अन्य क्षेत्रों में 100 अरब डालर का निवेश करने की अपनी योजना की घोषणा की थी.

मिसरी ने कहा, ‘‘कुछ मुद्दे हैं जो उन्होंने उठाए थे और हमने उन मुद्दों पर बहुत रचनात्मक तरीके से काम किया है. निवेश पर उच्च स्तरीय कार्यबल (एचएलटीएफआई) की स्थापना अक्टूबर 2023 में की गई थी और पिछले साल इसकी पहली बैठक हुई थी और तब से इसकी कई बैठकें हो चुकी हैं.’’ प्रस्तावित निवेश में तेजी लाने के लिए एचएलटीएफआई की स्थापना की गई थी.

मिसरी ने कहा कि भारत ने सऊदी अरब द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ‘बहुत खुले दिमाग’ से विचार किया और उसकी ‘चिंताओं’ को दूर करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप-आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) परियोजना के कार्यान्वयन पर मोदी और सलमान के बीच वार्ता के दौरान चर्चा हो सकती है. इजराइल-हमास संघर्ष के साथ-साथ यूक्रेन की स्थिति पर भी बातचीत में चर्चा होने की उम्मीद है.

विदेश सचिव ने कहा कि भारत और सऊदी अरब द्वारा अपने रक्षा संबंधों को भी मजबूत करने की उम्मीद है, जिसमें अधिक सैन्य अभ्यास और उच्च स्तरीय संपर्कों के लिए रूपरेखा तैयार करना शामिल हो सकता है. प्रधानमंत्री के रूप में यह मोदी की सऊदी अरब की तीसरी यात्रा होगी. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक और व्यापारिक संपर्कों का लंबा इतिहास है तथा उनके बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं.

Published: April 19, 2025, 23:36 IST
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