
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुनियादी बचत बैंक जमा खाताधारकों को न्यूनतम शेष राशि शुल्क के बिना दी जाने वाली सेवाओं को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है जिसमें डिजिटल बैंकिंग सेवाएं भी शामिल हैं.
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने बैंकों में आंतरिक लोकपाल व्यवस्था को मजबूत करते हुए उन्हें क्षतिपूर्ति का अधिकार देने और राज्य सहकारी बैंकों एवं जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को आरबीआई लोकपाल योजना के दायरे में लाने (जो अब तक नाबार्ड के अंतर्गत आते थे) का भी प्रस्ताव किया है.
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘बुनियादी बचत बैंक जमा खाताधारकों को न्यूनतम शेष राशि शुल्क के बिना दी जाने वाली सेवाओं को बढ़ाने का प्रस्ताव है, जिसमें अन्य बातों के साथ डिजिटल बैंकिंग (मोबाइल/इंटरनेट बैंकिंग) सेवाएं भी शामिल हैं.’’
बीएसबीडी खाता एक बुनियादी बचत बैंक खाता है, जिसे वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया है. बीएसबीडी खाते से संबंधित मौजूदा निर्देशों के तहत बैंकों को ऐसे खाताधारकों को न्यूनतम शेष राशि की जरूरत के बिना, कुछ न्यूनतम सुविधाएं निःशुल्क देनी होती हैं.
आरबीआई ने बयान में कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में हो रहे डिजिटलीकरण से ग्राहकों की बदलती जरूरतों के अनुरूप बीएसबीडी खाते से जुड़े नियमों में बदलाव भी आवश्यक हो गया है. इसलिए, जनता को किफायती बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने और वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए बीएसबीडी खाते से संबंधित मौजूदा निर्देशों की समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है.
बयान के मुताबिक, इन प्रस्तावों के संबंध में शीघ्र ही अधिसूचना जारी की जाएगी.
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘इसके अलावा आंतरिक लोकपाल व्यवस्था को मजबूत करने का भी प्रस्ताव है ताकि विनियमित संस्थाओं (बैंक, एनबीएफसी) द्वारा शिकायत निवारण व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जा सके.’’
उन्होंने कहा, ‘‘शिकायत निवारण में सुधार के लिए आरबीआई लोकपाल योजना को भी संशोधित किया जा रहा है और ग्रामीण सहकारी बैंकों को इस योजना के दायरे में शामिल किया जा रहा है.’’
बयान के अनुसार, आरबीआई ने चुनिंदा विनियमित संस्थाओं में आंतरिक लोकपाल (ओम्बुडसमैन) व्यवस्था को संस्थागत रूप दिया है. यह वित्तीय संस्थानों द्वारा अस्वीकृत की जा रही शिकायतों की स्वतंत्र शीर्ष स्तरीय समीक्षा को सक्षम बनाता है.
इस व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आंतरिक लोकपाल (आईओ) को क्षतिपूर्ति का अधिकार देने और शिकायतकर्ता तक पहुंच की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा गया है. इससे आईओ की भूमिका आरबीआई लोकपाल की भूमिका के अधिक नजदीक हो जाएगी.
बयान के अनुसार, आंतरिक लोकपाल के पास शिकायत आगे बढ़ाने से पहले शिकायत निवारण के लिए बैंकों के भीतर दो-स्तरीय संरचना शुरू की जा सकती है. इन उपायों का उद्देश्य आरबीआई क दायरे में आने वाली इकाइयों के भीतर ग्राहकों की शिकायतों का सार्थक और समय पर समाधान प्रदान करना है.
इन संशोधनों की रूपरेखा प्रस्तुत करने वाले ‘मास्टर’ निर्देश का एक मसौदा शीघ्र ही लोगों की प्रतिक्रिया के लिए जारी किया जा रहा है.
इसके अलावा, ग्रामीण सहकारी बैंकों के ग्राहकों को आरबीआई लोकपाल की व्यवस्था तक पहुंच प्रदान करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को, जो अब तक नाबार्ड के अंतर्गत आते थे, केंद्रीय बैंक की लोकपाल योजना के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है. इस संबंध में शीघ्र ही अधिसूचना जारी की जाएगी.