
इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई ने शनिवार को कहा कि एच-1बी वीजा आवेदकों पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का भारी वार्षिक शुल्क लगाने के अमेरिकी फैसले से कंपनियों के नए आवेदन कम होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले महीनों में अमेरिका में आउटसोर्सिंग बढ़ सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अत्यधिक कुशल श्रमिकों के लिए एक लाख डॉलर का वार्षिक वीजा शुल्क लगाया जाएगा।
पई ने इस धारणा को खारिज किया कि कंपनियां अमेरिका में सस्ते श्रम भेजने के लिए एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष 20 एच-1बी नियोक्ताओं द्वारा दिया जाने वाला औसत वेतन एक लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कथन को ”बेतुकी बयानबाजी” करार दिया।
एक आईटी उद्योग विशेषज्ञ ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भारतीय तकनीकी कंपनियों को हर साल 8,000-12,000 नए स्वीकृतियां मिलती हैं। इसका असर सिर्फ भारतीय कंपनियों पर ही नहीं, बल्कि अमेजन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी वैश्विक तकनीकी दिग्गज कंपनियों पर भी होगा।
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