
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि मुद्रास्फीति और वृद्धि की संभावनाएं भविष्य में ब्याज दर कटौती तय करेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान आंकड़े इस फैसले को प्रभावित नहीं करेंगे।
गौरतलब है कि जून में मुद्रास्फीति में भारी गिरावट आई है।
मल्होत्रा ने यहां ‘एफई मॉडर्न बीएफएसआई शिखर सम्मेलन’ में कहा कि आरबीआई की दरों में कटौती से परिसंपत्तियों में उछाल नहीं आएगा और केंद्रीय बैंक के पास अर्थव्यवस्था की मदद के लिए दरों में कटौती के अलावा और भी कई उपाय मौजूद हैं।
गौरतलब है कि आरबीआई ने इस साल अपनी प्रमुख उधारी दरों में एक प्रतिशत की कटौती की, और आधिकारिक आंकड़े बता रहे हैं कि प्रमुख मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले घटकर 2.1 प्रतिशत रह गई है। ऐसे में आगे और नरमी की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
मल्होत्रा ने कहा, ”दरों में कटौती मौजूदा आंकड़ों के बजाय भविष्य में वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों की संभावनाओं पर निर्भर करेगी।”
उन्होंने कहा, ”हमें यह याद रखना होगा कि मौद्रिक नीति का असर कुछ देरी के साथ होता है, इसलिए दरों पर निर्णय लेते समय मुद्रास्फीति जैसे प्रमुख आंकड़ों के 12 महीने तक के पुर्वानुमान को ध्यान में रखा जाता है।”
जून तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस साल बैंकों ने ऋण दरों में लगभग आधा प्रतिशत की कमी की है। जबकि रिजर्व बैंक ने फरवरी से लेकर अबतक नीतिगत दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती की है।
मल्होत्रा ने कहा कि दरों में कटौती का मकसद ऋण वृद्धि को बढ़ाना है, और उन्होंने भरोसा जताया कि इससे परिसंपत्ति ‘बुलबुले’ नहीं बनेंगे।
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