
अमेरिका के भारतीय आयात पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के चलते कालीन उद्योग ने केंद्र सरकार ने राहत पैकेज देने की मांग की है।
अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एआईसीएमए) और कपड़ा मंत्रालय के अधीन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने इस संबंध में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की थी।
भदोही के विधायक जाहिद बेग (समाजवादी पार्टी) ने भी निर्यातकों को राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से 10 प्रतिशत का विशेष राहत पैकेज देने का अनुरोध किया है।
सीईपीसी के भदोही कार्यालय के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अखिलेश सिंह के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में भारत का कालीन निर्यात 16,800 करोड़ रुपये का था। इसमें से 60 प्रतिशत अमेरिका और 40 प्रतिशत यूरोपीय देशों को निर्यात किया गया।
उन्होंने बताया कि देश के कुल कालीन निर्यात में अकेले भदोही का 60 प्रतिशत हिस्सा है, जिससे यह स्पष्ट है कि अमेरिकी शुल्क का सबसे ज्यादा असर जिले के निर्यातकों पर पड़ेगा।
दोनों संगठनों ने जोर देकर कहा कि उनकी प्राथमिकता अपने अमेरिकी आयातकों को जोड़े रखना है। उन्होंने बताया कि अगर ये आयातक उन देशों से आयात करना शुरू कर देते हैं, जहां अमेरिका ने कम शुल्क लगाए हैं, जैसे चीन, तुर्की और पाकिस्तान, तो उन्हें वापस पाना बेहद मुश्किल होगा।
इस बीच, बेग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में जोर देकर कहा कि शुल्क का सबसे ज्यादा असर कालीन उद्योग पर पड़ेगा, क्योंकि भारत में बनने वाले 99 प्रतिशत कालीन निर्यात किए जाते हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत अमेरिका जाते हैं।
विधायक ने इस बात पर जोर दिया कि कालीन उद्योग एक कुटीर उद्योग है, जिसमें 30 लाख लोग काम करते हैं, और महिलाएं इस कार्यबल का 25 प्रतिशत हिस्सा हैं।
बेग ने चेतावनी दी कि अगर निर्यात प्रभावित होता है, तो सबसे बड़ा झटका उन बुनकरों, मजदूरों और महिलाओं को लगेगा, जो बिना किसी मशीनरी के, सिर्फ अपने हाथों और हुनर से इन कालीनों को बनाते हैं।
इसका असर आबादी के एक बड़े हिस्से पर पड़ सकता है और लाखों लोगों की आजीविका छिन सकती है।
बेग ने सरकार से उत्तर प्रदेश की 800 निर्यात इकाइयों को इस सीधे झटके से बचाने का आग्रह किया।
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