
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 में कुल मुद्रास्फीति औसतन 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो गत वित्त वर्ष (2024-25) में 4.6 प्रतिशत रही थी.
रेटिंग एजेंसी ने अगस्त की अपनी शोध रिपोर्ट में कहा कि अच्छे कृषि उत्पादन से खाद्य मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने की संभावना है. खरीफ की बुवाई में आठ अगस्त तक सालाना आधार पर चार प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर्ज की गई.
क्रिसिल ने अपनी शोध रिपोर्ट में कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में कुल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति औसतन 3.5 प्रतिशत रहेगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 4.6 प्रतिशत थी.’’
रिपोर्ट में कहा गया कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के नियंत्रण में रहने की उम्मीद करते हुए ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें चालू वित्त वर्ष में 60 से 65 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक सीमित रहने का अनुमान है जिससे गैर-खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.
रेटिंग एजेंसी को इस वित्त वर्ष में रेपो दर में एक और कटौती की उम्मीद है. अबतक कुल एक प्रतिशत की कटौती और पर्याप्त नकदी ने इसका लाभ आगे भी तेजी से पहुंचाने में मदद की है.
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर पिछले एक साल में आधी से भी अधिक घट गई है और भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे के निचले स्तर से भी नीचे आ गई है. यह जून के 2.1 प्रतिशत से जुलाई में 1.6 प्रतिशत पर आ गई.
रिपोर्ट कहती है कि खुदरा मुद्रास्फीति में तीव्र गिरावट से घरेलू क्रय शक्ति में वृद्धि होगी, खासकर निम्न-आय वर्ग में.. साथ ही इससे मौद्रिक नीति में और ढील की और गुंजाइश बनेगी.
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