
होटल और रेस्तरां को जल्द ही यह बताना पड़ सकता है कि वे ग्राहकों को परोसे जाने वाले किन व्यंजनों में दूध से बने पनीर की जगह गैर-डेयरी उत्पादों से तैयार पनीर का उपयोग करते हैं. उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर रहा है. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी.
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने उपभोक्ताओं को धोखा देने से रोकने के लिए पनीर बनाने वालों के लिए एनालॉग पनीर को ‘गैर-डेयरी’ के रूप में लेबल करना पहले ही अनिवार्य कर दिया है. हालांकि, ये नियम वर्तमान में रेस्तरां में परोसे जाने वाले तैयार भोजन पर लागू नहीं होते हैं. एफएसएसएआई के नियमों के अनुसार, एनालॉग पनीर एक ऐसा उत्पाद है जिसमें दूध के घटकों को या तो पूरी तरह या आंशिक रूप से गैर-डेयरी सामग्री से बदल दिया जाता है, हालांकि, अंतिम उत्पाद पारंपरिक डेयरी आधारित पनीर की तरह ही लगता है.
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने पीटीआई-भाषा को बताया कि एनालॉग पनीर दिखने और स्वाद में पारंपरिक पनीर जैसा होता है, लेकिन यह पनीर नहीं है. एनालॉग पनीर सस्ता है. होटल और रेस्तरां उपभोक्ताओं को इसके बारे में क्यों नहीं बताते हैं. खरे ने कहा कि प्रतिष्ठानों को ग्राहकों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि व्यंजनों में पारंपरिक पनीर है या गैर-डेयरी उत्पादों से बना पनी (एनालॉग) पनीर है और उसी के अनुसार उनकी कीमत तय करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि पारंपरिक पनीर के नाम पर वनस्पति तेल जैसे गैर-डेयरी उत्पादों से बना पनीर नहीं बेचना चाहिए. गैर-डेयरी उत्पादों से बना पनीर काफी लोकप्रिय हुआ है, क्योंकि इसकी कीमत दूध से बने पनीर से लगभग आधी है, जबकि इसका स्वाद और बनावट समान है.पारंपरिक पनीर नींबू के रस या सिरके जैसे एसिड को ताजा दूध में डालकर बनाया जाता है, जबकि एनालॉग पनीर आमतौर पर इमल्सिफायर, स्टार्च और वनस्पति तेल से बनता है.
Download Money9 App for the latest updates on Personal Finance.
