
भारत और अमेरिका ने प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की वार्ता के लिए खाका तैयार करते हुए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप दे दिया है। अमेरिका ने बयान जारी कर यह कहा है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) जेमीसन ग्रीर ने कहा कि जारी वार्ताएं अमेरिकी वस्तुओं के लिए नए बाजार खोलकर और अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंचाने वाली अनुचित चलन को खत्म करके संतुलन और पारस्परिकता हासिल करने में मदद करेंगी।
उन्होंने बयान में कहा, “अब तक भारत की रचनात्मक भागीदारी का स्वागत किया गया है, और मैं दोनों देशों में श्रमिकों, किसानों और उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा करने की आशा करता हूं।” ग्रीर ने कहा, “मुझे यह पुष्टि करते हुए खुशी हो रही है कि यूएसटीआर और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने पारस्परिक व्यापार पर वार्ता के लिए खाका तैयार करने के लिए संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप दे दिया है।” उन्होंने दावा किया कि भारत के साथ व्यापार संबंधों में पारस्परिकता की ‘गंभीर’ कमी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के बीच सोमवार को यहां व्यापक वार्ता के बाद भारत और अमेरिका ने कहा कि उन्होंने पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत में ‘महत्वपूर्ण प्रगति’ की है। वेंस 12 साल में भारत आने वाले पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले 2013 में जो बाइडेन ने भारत का दौरा किया था। इसी साल 13 फरवरी को दोनों देशों ने बीटीए पर बातचीत करने की घोषणा की। इस साल शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया गया।
यूएसटीआर के अनुसार, अमेरिका दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने, शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को कम करने तथा अतिरिक्त प्रतिबद्धताओं पर बातचीत करने पर विचार कर रहा है। बयान में कहा गया है कि अमेरिका ने लंबे समय से भारत के साथ महत्वपूर्ण व्यापार बाधाओं को पहचाना है और इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने 2024 में भारत के साथ 45.7 अरब डॉलर का माल व्यापार घाटा उठाया, जो 2023 की तुलना में 5.1 प्रतिशत (2.2 अरब डॉलर) ज्यादा है। इसमें कहा गया, “अमेरिका ने फरवरी में प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) की राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप के साथ बैठक के दौरान भारत द्वारा लागू किए गए शुल्क कटौतियों का स्वागत किया तथा बीटीए के हिस्से के रूप में अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क को और कम करने की इच्छा जताई।”
भारत के साथ अमेरिका का कुल वस्तु व्यापार 2024 में 129.2 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। अमेरिका के अनुसार, भारत का औसत लागू शुल्क 17 प्रतिशत है, जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है, जबकि अमेरिका का औसत लागू शुल्क 3.3 प्रतिशत है। कृषि उत्पादों पर भारत की औसत लागू शुल्क दर 39 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका की यह दर सिर्फ पांच प्रतिशत है। इसमें कहा गया है, “शुल्कों के अलावा, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, विनियामक बाधाएं तथा सेवा, औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों में बाजार तक पहुंच पर प्रतिबंध भी भारत को अमेरिकी निर्यात को कम करते हैं।”
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