
विदेशी बाजारों में कमजोरी के बीच घरेलू तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को आयातित खाद्य तेलों के दाम में गिरावट दर्ज हुई जबकि हल्की मांग बढ़ने के कारण देशी तेल-तिलहनों के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए.
एक ओर जहां सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम में सुधार आया, वहीं सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतें गिरावट के साथ बंद हुईं. पहले से ही काफी नीचे दाम पर बिक रहे सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए.
पाम-पामोलीन का स्टॉक बढ़ने के बीच मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट है. वहीं शिकॉगो एक्सचेंज कल रात लगभग 1.5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुआ था और फिलहाल यहां मामूली सुधार है.
बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात की गिरावट और मलेशिया एक्सचेंज में नरमी के बीच पाम, पामोलीन और सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट देखी गई. वहीं दूसरी ओर, कच्ची घानी की बड़ी तेल पेराई मिलों की मांग बढ़ने से सरसों तेल-तिलहन तथा मामूली लिवाली बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया. हल्की मांग निकलने से बिनौला तेल कीमत भी सुधार दर्शाते बंद हुई. वैसे बिनौला तेल का दाम पामोलीन से काफी अधिक हो चला है.
उन्होंने कहा कि सोयाबीन तिलहन का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग 15 प्रतिशत नीचे चल रहा है इसके अलावा आगामी अक्टूबर-नवंबर में सोयाबीन और मूंगफली की खरीफ फसल भी बाजार में आयेगी. इस परिस्थिति के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव स्थिर बने रहे. जब पहले ही नीचे दाम वाले इन दोनों तिलहन के खपने में मुश्किल हो रही है तो नई फसल का क्या होने वाला है, इसके बारे में मौजूदा समय में असमंजस कायम है. इस बार मूंगफली की अच्छी पैदावार रहने का भी अनुमान है.
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