
शेयर बाजार में ग्रीन एनर्जी सेक्टर बुरी तरह दबाव में दिख रहा है. कई दिग्गज कंपनियों के शेयर 3 से 8 फीसदी तक टूटे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह रही विदेशी पोर्टफोलियों निवेशक(FPI) की भारी बिकवाली, रुपये की कमजोरी और बाजार में फैली गलतफहमियां. दिसंबर के पहले हफ्ते में ही FPI ने 11,820 करोड़ रुपये बाजार से निकाल लिए, जिससे पूरे साल का आउटफ्लो 1.55 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इसके साथ ही MNRI की नई अपडेट को लेकर फैली अफवाह ने निवेशकों को और डरा दिया. नतीजा यह कि कई ग्रीन एनर्जी कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के निचले स्तर तक आ गए.
FPI की भारी बिकवाली से सेक्टर पर दबाव
दिसंबर के पहले हफ्ते में FPI ने भारतीय इक्विटी से बड़ी रकम निकाली. रुपये के 90 से नीचे बंद होने और साल के अंत में पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग के कारण FPI बिकवाली और तेज हो गई. इसका सीधा असर ग्रीन एनर्जी सेक्टर पर पड़ा क्योंकि विदेशी निवेशक जोखिम से बचने के लिए इस सेक्टर से तेजी से बाहर निकले. इससे कई स्टॉक्स में अचानक गिरावट देखी गई.
रुपये की कमजोरी ने बढ़ाई चिंता
रुपये में लगातार कमजोरी ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ाई. रुपये की गिरावट आमतौर पर विदेशी निवेश पर नेगेटिव असर डालती है और यही इस सेक्टर के साथ हुआ. डॉलर की मजबूती और वैश्विक माहौल के कमजोर होने से रुपये पर दबाव रहा. इसने निवेशकों को निराश किया और ग्रीन एनर्जी स्टॉक्स बिकवाल की चपेट में आ गए.
बाजार की कमजोरी का असर
सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने दो महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की. फेड नीतियों को लेकर अनिश्चितता और वैश्विक मार्केट में कमजोरी के चलते देश के सभी सेक्टर दबाव में रहे. जब बाजार में व्यापक गिरावट आती है, तो उभरते सेक्टर जैसे ग्रीन एनर्जी सबसे पहले प्रभावित होते हैं. इस वजह से इस सेक्टर के कई स्टॉक्स में तेजी से गिरावट आई.
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