
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा है कि नियामक शेयर वायदा कारोबार की अवधि एवं परिपक्वता में सुधार लाने पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि नकदी बाजार में कारोबार तेजी से बढ़ा है और तीन साल की अवधि में दैनिक कारोबार दोगुना हो गया है।
पांडेय ने ‘फिक्की कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस’ 2025 में कहा, ‘‘ हम वायदा-विकल्प उत्पादों के परिपक्वता खाके और सुधार के तरीकों पर हितधारकों के साथ परामर्श करेंगे, ताकि वे ‘हेजिंग’ (जोखिम प्रबंधन रणनीति) और दीर्घकालिक निवेश के लिए बेहतर सेवा प्रदान कर सकें।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शेयर वायदा कारोबार पूंजी निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन नियामक को गुणवत्ता एवं संतुलन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
नियामक लंबी अवधि के उत्पादों के माध्यम से वायदा-विकल्प की गुणवत्ता को बढ़ाते हुए, नकद शेयर बाजारों को गहरा करने के तरीके तलाश रहा है।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने पिछले महीने ‘अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग’ के बढ़ते प्रभुत्व पर चिंता व्यक्त की थी और आगाह किया कि इस तरह के रुझान भारत के पूंजी बाजारों को कमजोर कर सकते हैं।
कृत्रिम मेधा (एआई) पर पांडेय ने कहा कि इसमें ग्राहक जुड़ाव के नए तरीकों को खोलने, जोखिम आकलन एवं निगरानी, धोखाधड़ी का पता लगाने तथा वित्तीय समावेशन के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण सक्षम करने की क्षमता है। साथ ही, एआई को अपनाने से डेटा संरक्षण और साइबर सुरक्षा सहित अन्य मौजूदा चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें एआई को निर्णय के विकल्प के तौर पर नहीं एक सहायक के रूप में देखना होगा। एआई एमएल के लिए सेबी के प्रस्तावित मार्गदर्शक सिद्धांत एक स्तरीय दृष्टिकोण, डेटा एवं साइबर नियंत्रण और स्पष्ट जवाबदेही पर ज़ोर देते हैं। आरबीआई की एआई समिति की रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करती है।’’
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