
भारतीय खुदरा उद्योग अतीत की बाधाओं को दरकिनार करते हुए मजबूत आधार के साथ 2026 के लिए तैयार है। प्रमुख महानगरों से छोटे व मझाले शहरों की ओर मांग में बदलाव से बेहतर मुनाफे की उम्मीद है। साथ ही देश अब भी दुनिया के तीसरे सबसे बड़े खुदरा बाजार के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा।
भारत के करीब 1100 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के खुदरा उद्योग में तेज डिजिटल एकीकरण, छोटे शहरों में विस्तार एवं मजबूत घरेलू मांग, प्रौद्योगिकी-प्रधान व्यवधान एवं गुणवत्ता व मूल्य के प्रति बढ़ती उपभोक्ता अपेक्षाओं के कारण बड़े मॉल का विकास हुआ है।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार और आयकर राहत जैसी नीतिगत पहल, अच्छी मानसून तथा उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ उपभोक्ता मांग में सकारात्मक संकेत दे रही हैं। इसके साथ ही, मूल्य खुदरा में तेजी और ‘प्रीमियमाइजेशन’ के बढ़ने से 2026 में वृद्धि तेज रहने की संभावना है।
उद्योग को बढ़ती किराए की दरों, डिजिटल एवं भौतिक माध्यमों में तीव्र प्रतिस्पर्धा, सभी माध्यमों के (ओमनीचैनल) अनुभवों का साथ लोने में चुनौतियों के साथ आपूर्ति श्रृंखला की लगातार असफलताएं हालांकि मुनाफे पर दबाव एवं कुशल प्रतिभा की कमी जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
डेलॉयट इंडिया के साझेदार एवं उपभोक्ता उद्योग के प्रमुख आनंद रामनाथन ने कहा कि दोहरे अंकों की वृद्धि के साथ 2026 के लिए खुदरा क्षेत्र की संभावना “अत्यधिक आशाजनक” है।
उन्होंने कहा, “ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, मुद्रास्फीति नियंत्रित है और उपभोक्ता भावना मजबूत बनी हुई है। ई-कॉमर्स का विस्तार होगा, छोटे शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के अधिक उपभोक्ता ऑनलाइन खरीदारी करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि ‘क्विक कॉमर्स’ और ‘सोशल कॉमर्स’ पारंपरिक मॉडल में बाधा डालना जारी रखेंगे, और सभी माध्यमों में परिपक्वता के एकीकृत अनुभव एवं लचीले पूर्ति विकल्प सक्षम करेगी। ‘प्रीमियमाइजेशन और वैयक्तिकरण मध्य और उच्च आय वर्ग के बढ़ने से प्रेरित होगा, जबकि स्थिरता और समावेश ब्रांड के लिए मुख्य भिन्नताएं बनेंगी।
उन्होंने साथ ही कहा कि मुनाफा प्रबंधन, आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन एवं नियामक अनुपालन से संबंधित चुनौतियां बनी रहेंगी लेकिन यह क्षेत्र प्रौद्योगिकी तथा उपभोक्ता-केंद्रित पहल के साथ मजबूत और नवाचारी बना रहेगा।
एक्सेंचर स्ट्रैटेजी एंड कंसल्टिंग के प्रबंध निदेशक आदित्य प्रियदर्शन ने कहा कि 2025 ने भारत में अधिक औपचारिक एवं डिजिटल रूप से सक्षम खुदरा परिवेश की ओर स्पष्ट और निरंतर बदलाव को दर्शाया।
उन्होंने कहा कि जीएसटी में बदलाव जैसे संरचनात्मक सुधार ‘‘ जटिलता कम कर रहे हैं, मूल्य पारदर्शिता बढ़ा रहे हैं’’ और खुदरा विक्रेताओं के लिए समान प्रतिस्पर्धा का मैदान तैयार कर रहे हैं।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दर में कटौती और आयकर राहत ने भी उपभोक्ता भावना को बढ़ावा दिया और वर्ष की अंतिम तिमाही में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की।
उन्होंने कहा, ‘‘ भारत की खुदरा वृद्धि 2026 में संरचनात्मक रूप से मजबूत बनी रहेगी, लेकिन अगला चरण मात्रा के बजाय मुनाफा-केंद्रित होगा।
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी कुमार राजगोपालन ने कहा कि खुदरा क्षेत्र 2026 में 2025 के दौरान हासिल स्थिर गति के साथ प्रवेश करेगा जो उत्साह की बजाय संतुलित और व्यापक वृद्धि को दर्शाता है।
वी-मार्ट के प्रबंध निदेशक ललित अग्रवाल ने कहा कि 2025 ब्रांडेड और प्रीमियम खुदरा के लिए अच्छा वर्ष नहीं था, लेकिन मूल्य खुदरा ने अच्छा प्रदर्शन किया। 2025 में मुनाफे के मामले में चुनौतियां रहीं, विशेष रूप से जीएसटी बदलावों के कारण।
उन्होंने कहा कि 2026 में खुदरा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा जिसमें परिधान, फैशन और अन्य क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च में वृद्धि मदद करेगी।
ईवाई इंडिया के उपभोक्ता उत्पाद एवं खुदरा क्षेत्र के राष्ट्रीय प्रमुख परेश पारेख ने कहा कि उद्योग लंबे समय तक ‘मूल्य-केंद्रित वृद्धि’ से ‘मात्रा-चालित’ पुनर्प्राप्ति की शुरुआती अवस्था में प्रवेश कर रहा है। 2026 आशाजनक दिखाई देता
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