वित्त मंत्रालय ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) मंच के जरिये लेनदेन पर कोई ‘मर्चेंट डिस्काउंट रेट’ (एमडीआर) नहीं लेने की जानकारी दी है।
मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘ यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर वसूले जाने की अटकलें और दावे पूरी तरह से झूठे, निराधार एवं भ्रामक हैं। इस तरह की निराधार और सनसनी फैलाने वाली अटकलें हमारे नागरिकों के बीच अनावश्यक अनिश्चितता, भय व संदेह उत्पन्न करती हैं। सरकार यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’’
एमडीआर वह लागत है जो व्यापारी द्वारा बैंक को अपने ग्राहकों से डिजिटल माध्यम से भुगतान स्वीकार करने के लिए चुकाई जाती है। व्यापारी छूट दर लेनदेन राशि के प्रतिशत में व्यक्त की जाती है।
मंत्रालय का यह स्पष्टीकरण उन खबरों के बाद आया है, जिनमें दावा किया गया था कि सरकार बड़े यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर लगाने की योजना बना रही है।
इस बीच, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मई में यूपीआई के माध्यम से लेनदेन 25.14 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले महीने की तुलना में पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। अप्रैल में यूपीआई लेनदेन का मूल्य 23.94 लाख करोड़ रुपये था।
मात्रा के संदर्भ में, मई में 1,867.7 करोड़ लेनदेन हुए, जबकि पिछले महीने 1,789.3 करोड़ लेनदेन हुए थे।
एनपीसीआई ने कहा कि मई में लेनदेन का मूल्य एक वर्ष पूर्व की समान अवधि के 20.44 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक है।
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